जोसेफ ने साल 2012 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में वो सफल नहीं हो पाए लेकिन उन्हें मालूम था कि ये इतना मुश्किल नहीं है। अगर वो मेहनत करेंगे तो इस परीक्षा को जरूर पास कर लेंगे। सरकारी मेडिकल कॉलेज से बैचलर की डिग्री हासिल करने वाले जोसेफ देश में नहीं बल्कि विदेश में काम करना चाहते थे।
कोट्टायम (केरल) के रहने वाले जोसफ के. मैथ्यू दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक नर्सिंग ऑफिसर थे। उन्हे यहां तक पहुंचाने में उनके माता-पिता का अहम योगदान था। जोसेफ के मुताबिक उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, उनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे जबकि मां एक गृहणी। इन सब के बावजूद उन्होंने कभी पढ़ना नहीं छोड़ा। बाद में जोसेफ अस्पताल ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू डिपार्टमेंट में बतौर नर्स के रूप में काम करने लगे थे।
नर्सिंग ऑफिसर बनने के बाद उन्होंने अपने पिता को काम करने के लिए मना कर दिया था। बता दें कि जोसेफ यूपीएससी की परीक्षा को पांचवें अटैम्पट में पास किया था। इससे पहले उन्होंने चार बार परीक्षा दी थी, जिसमें वो एक बार ही इंटरव्यू तक पहुंच पाए थे। जोसेफ चाहते थे कि यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी अच्छी तरीके से करें ताकी वो आईएएस बन सकें। बता दें कि यूपीएससी की परीक्षा में उन्हें 574 रैंक मिली थी।
नौकरी के दौरान कई बार उन्हें रात की शिफ्ट में 12 घंटे तक काम करना होता था। उनका कोई फिक्स शेड्यूल नहीं था। अस्पताल में कभी शाम तो कभी सुबह उनकी शिफ्ट लगाई जाती थी। ऐसे में उन्हें पढ़ने का समय कम ही मिल पाता था। इसलिए जोसेफ शिफ्ट के हिसाब से पढ़ाई करते थे। और समय मिलने पर वह अपने नोट्स को रिवाइज किया करते थे।जोसेफ के मुताबिक वो अस्पताल में 8 घंटे की शिफ्ट में काम करते थे और घर जाने के बाद रोजाना पढ़ाई करते थे। उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए एक दिन भी अपनी पढ़ाई से ब्रेक नहीं लिया। ज्यादातर स्टडी मटेरियल ऑनलाइन मिलने से उन्हें काफी आसानी होती थी।
हादसा जिसने उन्हें आईएएस बनने के लिए प्रेरित किया
पुत्तिंगल टेम्पल में हुए हादसे नें जोसेफ के दिमाग पर गहरा प्रभाव डाला। उस दिन जोसेफ ने प्रधानमंत्री की टीम में शामिल होने के लिए अपनी छुट्टी कैंसिल कर दी थी। तभी उन्हें जानकारी मिली कि पुत्तिंगल टेम्पल में लगी आग में 102 लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद जोसेफ को लगा कि सिविल सेवा का हिस्सा बनकर ही इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है।
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