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अमोरा में सादगीपूर्ण हुआ गौरीरानी विसर्जन

 

जांँजगीर चांँपा — जिला मुख्यालय के नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत आनेवाले माँ शँवरीन दाई की पावन धरा ग्राम अमोरा (महंत) में गौरी रानी का महापर्व वैसे तो प्रतिवर्ष बड़े हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस वर्ष वैश्विक कोरोना महामारी के मद्देनजर यह पर्व सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया। भक्तों द्वारा झाँझ , मंजीरा , माँदर सहित कई तरह के बाजे गाजे के साथ जसगीत गाते हुये झांकियांँ निकालकर गाँव भ्रमण करते हुये गाँव के सागर तालाब में विसर्जन किया गया। हालांकि ग्राम पंचायत द्वारा कोरोना महामारी के मद्देनजर दूसरे गाँव से रिश्तेदारों को नही बुलाने की मुनादी करायी गई थी। लेकिन वर्ष में एक ही दिन होने वाले इस महापर्व में शामिल होने से कोई भी अपने आपको रोक नही सके। इस महापर्व में श्रद्धालुओं की भीड़ ने कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियाँ उड़ाकर रख दी। यहाँ उपस्थित लोगों ने ना तो मास्क पहना और ना ही सामाजिक दूरी का पालन किया। 

गौरतलब है कि अनादि काल से अमोरा गांँव में नवरात्रि के प्रथम दिन से ही गौरी रानी स्थापित करने की परंपरा चली आ रही है। इसी कड़ी में इस वर्ष भी नवरात्रि प्रतिपदा के दिन से यहांँ लगभग तीस जोड़ी शिव पार्वती के प्रतीक गौरी रानी स्थापित की गयी थी जिसकी प्रतिष्ठा कर दस दिनों तक विधि विधान से पूजा अर्चना कर विभिन्न प्रकार के बाजे गाजे के साथ कुँवारी कन्याओं द्वारा गौरी रानी को सिर में धारण कर युवाओं द्वारा अस्त्र शस्त्रों का संचालन करते हुये झांकी निकालकर सागर तालाब में महाआरती के बाद विसर्जन किया गया। गौरी रानी का यह महापर्व चूकि जिले के एकमात्र ग्राम अमोरा में ही मनाया जाता है इसलिये जिले भर श्रद्धालु और दर्शकगण भारी संख्या में यहांँ पहुंँचकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुये गाँव में लगे मेला का भी आनंद उठाते नजर आये। इस महापर्व के संबंध में जानकारी देते हुये गाँव के  निवासी एवं कामधेनु सेना के छत्तीसगढ़ सचिव योगेष तिवारी ने बताया कि इस गाँव में सैकड़ों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों द्वारा अपने बच्चों की शादी विवाह एवं अन्य मनोकामनाओं के साथ गौरी रानी स्थापित की गयी थी।

इनकी स्थापना से उनकी मनोकामनायें पूरी हुई , तब से लेकर आज तक यह परंपरा अनवरत जारी है। इनकी पूजा आराधना से सुख , शांति एवं समृद्धि मिलती है।

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