महावीर जिनालय मन्दिर पर पर्युषण महापर्व की धूम,
फेन्सी ड्रैस एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
News > जैन धर्म में पर्यूषण पर्व का एक अलग ही महत्व है इस पर्व को सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, इसलिए पर्यूषण पर्व को महापर्व भी कहा जाता है जैन धर्म में यह पर्व दस दिन तक मनाया जाता है जैनियों द्वारा इसे दशलक्षण पर्व के रुप में भी मनाया जाता है यह जैनियों के लिए अपने जीवन पर चिंतन करने और उन लोगों से क्षमा मांगने का समय है जिनके साथ उन्होंने गलत किया है। यह त्योहार जैन धर्म के दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों द्वारा मनाया जाता है। इस साल पर्युषण पर्व 8 सितंबर 2024 रविवार से शुरू होकर 17 सितंबर 2024 को समाप्त होगा।
पर्यूषण पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म: और जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है साथ ही मोक्ष का द्वार भी खोलता है दस दिन तक जैनी अलग-अलग नियम और कर्म करते हैं. जिससे उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
इसी क्रम में रविवार को महल कॉलोनी में स्थित महावीर जिनालय मन्दिर में भक्तामर स्त्रोत्र की महिमा एक बाल कलाकार दिव्यान जैन द्वारा बतलाई गई। दिव्यान ने फेन्सी ड्रैस प्रतियोगिता के माध्यम से आचार्य मानतुंग जी रोल प्ले करके बताया गया। उसने बोला आचार्य मानतुंग से किसी बात पर नाराज़ होकर राजा भोज ने उन्हें कारागार में बंद करवाने के साथ ही उनको बंधवा दिया। इस कारागार में 48 दरवाजे थे जिन पर 48 मजबूत ताले लगवा दिए गए। इसके बाद आचार्य मानतुंग ने जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का स्मरण करते हुए भक्तामर स्तोत्र के 48 श्लोकों की रचना की। हर एक श्लोक की रचना पर एक-एक करके 48 ताले स्वयं ही टूटते चले गए। उन्होंने कहा कि इस स्त्रोत्र की रचना अदभुत है व हर श्लोक अपने आप में सम्पूर्ण मंत्र है। इस द्रश्य को देखकर उपस्थित श्रधालुओ ने जमकर तालियों से स्वागत किया और प्रतियोगिया में भाग लेने वाले सभी पुरुष्कार से सम्मानित किया गया ।
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