महिला सरपंच ने नियमबिरुद्ध बेटे को दे दी नौकरी : लाखों की वेतन निकाली, नप में नौकरी की चाह में बेटा पहुंचा हाईकोर्ट, मामले का हुआ खुलासा
शिवपुरी जिले में पोहरी नगर परिषद का गठन 31 जुलाई 2018 को हुआ। लेकिन इसकी प्रक्रिया कुछ सालों पहले से ही शुरू हो चुकी थी। जिन पंचायतों को इनमे शामिल किया जाना था। उन पंचायतों के जनप्रतिनिधियों ने सचिव के साथ मिलकर भ्रष्टाचार का खाता पहले ही खोलना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं जब पंचायतों को नगर परिषर में विलय किया गया। इसके बाद भी नियम का रोड़ा लगाकर सरपंच सहित सचिव द्वारा भ्रष्टाचार किया गया। इन पंचायतों में एक कृष्णगंज पंचायत भी शामिल हैं। जहां एक महिला सरपंच ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए अपने सगे बेटे को नौकरी पर रखा और पंचायत के खाते से लाखों रूपये बेटे की वेतन के नाम निकाल लिए। इतना ही नहीं महिला सरपंच ने अपने बेटे को नगर परिषद में नौकरी दिलाने का प्रयास किया। जब मामला न्यायालय में पहुंचा तब इसका खुलासा हो हुआ।
पहले समझते हैं पूरा मामला -
साल 2015 से पोहरी को नगर परिषद बनाने की मांग उठ रही थी। 2015 से इसकी प्रक्रिया भी शुरू को चुकी थी। पोहरी को नगर परिषद् बनाने के लिए क्षेत्र विस्तार करना था। इसके लिए पोहरी, कृष्णगंज, बेंहटा, चकराना, जाखनौद, ग्वालीपुरा और नानोरा पंचायतों को जोड़कर पोहरी को नगर परिषर की प्रक्रिया को शुरू किया गया था। आखिरकार 31 जुलाई 2018 को सातों पंचायतों को मिलाकर नगर परिषर पोहरी का गठन कर दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद पंचायतों के सरपंच सहित चुने गए अन्य जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल के समाप्ति तक उनके पास पंचायत के वित्तीय अधिकार सरपंच सेकेट्री के पास रहे।
महिला सरपंच ने नियमबिरुद्ध बेटे को दे दी नौकरी -
साल 2015 से पोहरी को नगर परिषर बनाने की मांग पर विभागीय प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। इधर जिन पंचायतों को जोड़ा जाना था। उन पंचायतों में भी अपनों को फायदा पहुचाने की सांठगांठ शुरू कर दी गई थी। भ्रष्टाचार शुरुवात कृष्णगंज पंचायत से हुई यहां कि महिला सरपंच रामकली ने तात्कालीन सचिव से मिलकर 1 अप्रेल 2015 को एक ठहराव कर अपने सगे बेटे चतुर सिंह सिठेले को 5000 रूपये के मासिक वेतन पर पंप अटेंडर के पद पर पदस्थ कर लिया। इस बीच सालों तक पंचायतों से सरपंच के बेटे चतुर सिंह सिठेले पंप अटेंडर के नाम नौकरी की। बता दें कि जबकि इस पंचायत में सरपंच द्वारा पहले ही एक अन्य व्यक्ति की पंप अटेंडर के पद पर नियुक्ति 5000 रूपये प्रतिमाह पर कर रखी थी। इस पंचायत की ख़ास बात थी कि यहां दो पंप अटेंडरों को हर महीने 10 हजार रूपये दिए जाते थे जबकि कंप्यूटर ऑपरेटर को 1000 प्रतिमाह की नौकरी दी गई थी।
पांच सालों में निकाले लाखों रूपये -
जानकारी के मुताबिक़ पोहरी नगर परिषर घोसित होने के बाद 28 नबंवर 2020 को कृष्णगंज, बेंहटा, चकराना, जाखनौद, ग्वालीपुरा और नानोरा पंचायतों के बैंक खातों बंद कर दिया गया था। लेकिन इससे पहले कृष्णगंज पंचायत की सरपंच रामकली ने अपने बेटे चतुर सिंह सिठेले के नाम सचिव के साथ मिलकर पंचायत के बाउचर बनाकर लाखों रूपये का भुगतान करा लिया था। पंचायत के खातों से सरपंच रामकली ने बेटे के नाम पहले वाउचर के जरिये 2017 तक एक मुस्त 130000 हजार रूपये की राशि निकाली वहीँ 2018 तक के वेतन के लिए वाउचर बनाकर 95000 हजार रूपये की राशि निकाल ली। सरपंच ने अपने वित्तय अधिकार ख़त्म होने से पहले एक ओर वाउचर के जरिये पंचायत के खाते से 60000 हजार रूपये निकाल लिए। इस सभी वाउचरों पर तात्कालीन पंचायत सचिव के भी हस्ताक्षर हैं।
न्यायालय से हुआ मामले का खुलासा -
कृष्णगंज पंचायत नगर परिषद में मिलने के बाद सरपंच रामकली ने पंचायत से एक प्रस्ताव बनाकर नगर परिषद में अपने बेटे चतुर सिंह सिठेले को नौकरी देने के लिए भेजा था। लेकिन इस परसाव को मान्य नहीं किया गया। ऐसे चतुर सिंह सिठेले द्वारा न्यायालय की शरण ली गई थी। नगर परिषद पोहरी को हाईकोर्ट तक खींचा गया था। जब न्यायालय द्वारा उक्त विषय पर पोहरी एसडीएम और नगर परिषद से पत्राचार के जरिये सवाल जबाब किये। तब सामने निकलकर आया कि सरपंच पुत्र चतुर सिंह सिठेले ने नियम विरुद्ध पंचायत में नौकरी पाई और अब वह नगर परिषद में भी नौकरी की चाह रख रहा हैं। बाद में 21 जून 2024 को चतुर सिंह सिठेले ने हाई कोर्ट से उसकी नौकरी ग्वालियर लग गई हैं ये कहते हुए अपना केस बापस ले लिया। इसके बावजूद एक जनप्रतिनिधि द्वारा अपने पद का दुरूपयोग करते हुए बेटे को नौकरी दी गई। इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हो सकी।
जांच के बाद करेंगे कार्यवाही -
बता दें कि हाल ही में जनपद पंचायत सीईओ शिवपुरी गिर्राज शर्मा को जनपद पंचायत सीईओ पोहरी का अतिरिक्त प्रभार सौपा गया हैं। सीईओ गिर्राज शर्मा का कहना हैं कि पंचायत में कोई जनप्रतिनिधि अपने सगे परिजन को नौकरी उपलब्ध नहीं करा सकता है। लेकिन कृष्णगंज पंचायत में वर्षों पूर्व नियमविरुद्ध हुई भर्ती और गलत तरीके से राशि आहरण की गई। इस मामले की उनके द्वारा जांच की जायेगी।
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