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ममता का हिंदू पुजारियों को मुफ्त घर देने का ऐलान, विपक्ष ने बताया ‘‘चुनावी हथकंडा’’

Mamata Banarjee Announces House Benefits For Hindu Preachers: सिर्फ  अल्पसंख्यक नहीं अब हिंदू वोटों पर भी निगाह? ब्राह्मण पुजारियों को मुफ्त घर  देंगी ममता
यूं तो अब पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने अभी से अपने चुनावी एजेंडे को साधना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के 8,000 से अधिक हिंदू पुजारियों के लिए 1,000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता और मुफ्त आवास की घोषणा की।
बनर्जी ने यह घोषणा राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले की है जिसके अगले वर्ष अप्रैल-मई में होने की संभावना है। बनर्जी पर विपक्ष अक्सर ‘‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’’ का आरोप लगाता है।
राज्य के हिंदी भाषी और आदिवासी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने एक हिंदी अकादमी और एक दलित साहित्य अकादमी स्थापित करने का निर्णय किया है।
बनर्जी ने कहा, ‘‘हमने पहले सनातन ब्राह्मण संप्रदाय को कोलाघाट में एक अकादमी स्थापित करने के लिए भूमि प्रदान की थी। इस संप्रदाय के कई पुजारी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। हमने उन्हें प्रतिमाह 1,000 रुपये का भत्ता प्रदान करने और राज्य सरकार की आवासीय योजना के तहत मुफ्त आवास प्रदान करके उनकी मदद करने का फैसला किया है।’’
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि इस घोषणा का अन्य कोई मतलब नहीं निकालें। यह ब्राह्मण पुजारियों की मदद करने के लिए किया जा रहा है। उन्हें अगले महीने से भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा क्योंकि यह दुर्गा पूजा का समय है।’’
यह घोषणाएँ भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा द्वारा यह आरोप लगाने के एक सप्ताह के भीतर आयी है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार की मानसिकता ‘‘हिंदू विरोधी’’ है और वह ‘‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’’ नीति अपना रही है।
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी राज्य सरकार पर ‘‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’’ का आरोप लगाया है।
2011 में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में आने के बाद तब आलोचना का सामना करना पड़ा था जब उसने इमामों के लिए मासिक भत्ते की घोषणा की थी। राज्य सरकार ने तब कहा था कि यह पश्चिम बंगाल के वक्फ बोर्ड द्वारा प्रदान किया जाएगा।
हिंदी भाषी लोगों और राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के बीच भाजपा के समर्थन के आधार पर सेंध लगाने के प्रयास के तहत राज्य सरकार ने एक हिंदी अकादमी और एक दलित साहित्य अकादमी के गठन की भी घोषणा की।

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