ग्वालियर मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने सन्यास ले चुकी महिला को 20 लाख रुपए दिलवाने का आदेश दिया है। मामला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज और उनकी पूर्व पत्नी का है, जिन्होंने 2011 में संन्यास ले लिया था। एडीजे ने 2016 में तलाक के लिए कुटुंब न्यायालय में आवेदन दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।
महिला ने इस आदेश को चुनौती दी, कहा कि उसका पक्ष सुने बिना ही तलाक का फैसला कर दिया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि चूंकि महिला संन्यास ले चुकी है। ऐसे में दोनों का साथ रहना संभव नहीं है। इस पर महिला की ओर से मामले के निराकरण के संबंध में एकमुश्त राशि देने की मांग की गई, जिसे पति ने स्वीकार कर लिया। दोनों के बीच 20 लाख की राशि पर सहमति बनी।
एडवोकेट सुनील जैन ने बताया कि दोनों की शादी 1997 में हुई थी। शुरुआती साल ठीक से बीते लेकिन लगभग 10 साल बाद से दोनों में विवाद होने लगा। 2011 में पत्नी ने हरिद्वार स्थित अखंड परमधाम जाकर संन्यास ले लिया। 2012 में दोनों पूरी तरह से अलग-अलग रहने लगे। पत्नी ने कुटुंब न्यायालय में गुजारा भत्ता देने के लिए आवेदन दिया, जिस पर पति को हर माह 15 हजार रुपए देने का आदेश दिया गया। 2016 में एडीजे ने तलाक के लिए कुटुंब न्यायालय में आवेदन दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
इस आदेश के खिलाफ संन्यास ले चुकी पत्नी ने अपील की, कहा कि उसका पक्ष को कोर्ट ने सुना ही नहीं? कोविड के कारण लंबे समय तक मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। जब अपील पर सुनवाई हुई तो पति की ओर से तर्क दिया गया कि दोनों का साथ रहना अब संभव नहीं है क्योंकि महिला संन्यास ले चुकी है। बाद में महिला एक मुश्त 20 लाख रुपए मिलने की शर्त पर केस को खत्म करने के लिए राजी हुईं। एडीजे ने भी इस पर सहमति प्रदान की। इस पर कोर्ट ने अपील निराकृत कर दी। दोनों का एक बच्चा है, जो पिता के साथ रह रहा है।

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