*राम के नाम की महिमा अनंत है*
भगवान शिवरीनारायण स्वयं परमाध्यक्ष बनकर यहां बैठे हैं तब इस कार्यक्रम को किसी अध्यक्ष की जरूरत ही कहाँ है? वही यहां के सभी कार्यों का संचालन करते हैं तभी तो पिछले ग्यारह वर्षों से बिना किसी अध्यक्ष के नवधा भक्ति का यह कार्यक्रम निर्विघ्न रूप से संपन्न हो रहा है यह बातें महामंडलेश्वर के पद से विभूषित राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज ने शिवरीनारायण नगर के मंडी प्रांगण में नवधा भक्ति का शुभारंभ के अवसर पर अभिव्यक्त किया मंच पर संत श्री राम गोपाल दास जी महाराज विराजित थे विदित हो कि शिवरीनारायण के मंडी प्रांगण में दो नवंबर की देर शाम नवधा भक्ति का शुभारंभ हुआ, इसके पूर्व ग्राम वासियों ने मठ मंदिर से राजेश्री महन्त जी महाराज एवं संत श्री रामगोपाल दास जी को भव्य रथ में बैठा करके शोभायात्रा के साथ कार्यक्रम स्थल तक लाया, पूजा-अर्चना संपन्न होने के पश्चात दोनों महान विभूतियों का स्वागत आयोजकों ने किया इस अवसर पर अपना आशीर्वचन प्रदान करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि- राम के नाम की महिमा अनंत है बाल्मीकि को सीधा सीधा राम-राम कहना भी नहीं आता था वे अक्षर ज्ञान से अनभिज्ञ थे लेकिन राम नाम की महिमा के चलते उन्होंने संस्कृत में रामायण महाकाव्य की रचना की उन्होंने कहा कि शिवरीनारायण एक ऐसा नगर है जहां रात्रि में जब भी आप का नींद खुले कहीं ना कहीं पर राघवेंद्र सरकार की चरित्र का गुणगान आपको सुनाई देगा ही, श्री रामगोपाल दास जी महाराज ने अपना आशीर्वचन के साथ "सिया राम तुम्हारे चरणों में यदि प्रेम किसी का हो जाए, शबरी ने कहां पर वेद पढ़ा, गणिका कब यज्ञ कराई थी? जिसमें छल छिद्र का लेस नहीं भगवान उसी का हो जाये। गा करके लोगों को सुनाया उन्होंने कहा कि हमारा शरीर एक साधन है जो भगवान की प्राप्ति के लिए हमें मिला है ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए नहीं। संत जो बोलते हैं वही वेद पुराण बनता है बाल्मिकी तो एक डाकू था किंतु उन्होंने जो कहा वही रामायण के रूप में प्रकट हुआ इस अवसर पर लोगों को सुखीराम वर्मा एवं घनश्याम साहू ने भी संबोधित किया कार्यक्रम में विशेष रूप से मनोज तिवारी, बाबूलाल अग्रवाल, राजेंद्र यादव, रंगनाथ यादव, हिमांशु तिवारी, प्रेमलाल सोनी, केशव नारायण सोनी, देवा लाल सोनी, बीएमजी राव, शत्रुघन लाल शर्मा, मोतीराम आदित्य, राधेश्याम सोनी, प्रकाश बंसल, विनय अग्रवाल, आशुतोष द्विवेदी, निर्मल दास वैष्णव, बोध साए चंद्रा, उमाशंकर चंद्रा, रामतीरथ दास जी, भूपेंद्र पांडे, गोपाल केंवट सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन शरद पांडे ने किया।
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