ताऊते और यास तूफान आने से देशभर में मौसम बदला, बारिश हुई तो मौसम विभाग ने भी पूर्वानुमान जताया कि इस बार मानसून जल्दी आएगा और अच्छी बारिश होगी लेकिन यह सभी पूर्वानुमान ग्वालियर-चंबल अंचल के लिए झूठे साबित होते दिख रहे हैं। पहले तो मानसून देरी से आया।
जब आया तो भी तरबतर नहीं किया। इस साल अब तक अंचल में सूखे के हालात हैं।
, शिवपुरी, दतिया व श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों की औसत बारिश पर नजर डालें तो अब तक महज 10.90 फीसदी बारिश ही हुई है जबकि पिछले साल इससे करीब दोगुनी बारिश हुई थी। इसका सबसे बुरा असर खरीफ फसल की बोवनी पर हुआ है। पहली बारिश के साथ मुरैना जिले में किसानों ने 20 हजार हैैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोवनी कर दी है। इस बार खरीफ की बोवनी का लक्ष्य 2 लाख 28 हजार हैक्टेयर रखा गया है।
एक-दो दिन में बारिश नहीं तो बोवनी होना मुश्किल
अक्सर ग्वालियर-चंबल अंचल के जिलों में 15 से 20 जुलाई तक ज्यादातर बोवनी हो जाती है। प्रभारी उप संचालक अशोक सिंह गुर्जर ने बताया कि मुरैना जिले में खरीफ फसलों की 20% बोवनी भी नहीं हो सकी है। बाजरा की 8% और धान की 9% बोवनी हुई है। एक-दो दिन में पानी बरसने पर ही किसान बाजरा समेत ज्वार, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, ढेंचा की बोवनी कर सकेंगे। इसके बाद तो इसकी संभावना भी खत्म हो जाएगी। इसी प्रकार मुरैना के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस तोमर का कहना है कि किसान 15 दिन पहले निजी बोर से पलेवा कर लेते तो 8 दिन पहले बाजरा की बोवनी की जा सकती थी । अब ट्यूबवैल से पलेवा भी नहीं किया जा सकता क्योंकि यदि कहीं बारिश हो गई तो खेत पानी से लबालब हो जाएंगे और किसानों को बोवनी के लिए और लेट होना पड़ेगा।
बारिश न होने से तीन जिलों में यह बन रहे हैं हालात
मुरैना: बाजरा की बोवनी के लिए अभी भी किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। सबलगढ़ व कैलारस में 200 हैक्टेयर में और पोरसा में 110 हेक्टेयर में खरीफ फसल की बोवनी हुई है लेकिन बारिश न होने से बीज का अंकुरण ही नहीं हुआ।
भिंड: यहां भी अब तक बाजरा की बोवनी नहीं हो सकी है। गोहद सहित कुछ इलाकों में किसान धान की खेती भी करते हैं। इस बार धान का लक्ष्य 15 हजार हेक्टेयर है लेकिन अभी जो पौध रोपी गई है, वह भी बारिश न होने और गर्मी अधिक होने से पीली पड़ रही है।
शिवपुरी: मामूली बारिश में किसानों ने 7.41 लाख बीघा में सोयाबीन और मूंगफली की बोवनी कर दी थी लेकिन अब पानी की कमी और तेज धूप में अंकुरित फसल खेतों में ही मुरझाकर नष्ट हो रही है। पानी नहीं बरसने से 1.27 लाख हेक्टेयर रकबा सीधे तौर पर घट गया है।
जिन किसानों ने बारिश की आस में बोवनी कर दी, उनकी अंकुरित फसल तेज गर्मी और पानी की कमी से मुरझ
मुरैना के दो किसान: जो बीज बोया, वह अंकुरित ही नहीं हो रहा
चिम्मन धाकड़ मामचोन: 8 दिन पहले पानी बरसा तो हमने दो हेक्टेयर के खेत में बाजरा का बीज बो दिया। तब से अब तक बारिश नहीं हुई तो गर्मी के कारण बीज उपज ही नहीं रहा है। ऐसा लगता है कि पूरी मेहनत बेकार गई।
भीमसेन रावत कैमारा : बीते साल अब तक 8 बीघा में बाजरा की फसल एक-एक हाथ ऊंची हो गई थी क्योंकि पानी अच्छा बरस गया था। इस साल तो मेघ छींटा देकर चला गया। सूखा जैसा हाल दिख रहा है।
40 डिग्री तापमान, वातावरण में नमी भी नहीं, कैसे होगी बोवनी
खरीफ सीजन की फसलों को आद्रता वाले मौसम की जरूरत होती है। बारिश न होने से जहां एक ओर तापमान 40 डिग्री के आसपास चल रहा है, वहीं वातावरण में नमी नहीं है। इस कारण बोनी नहीं हो पा रही है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं लेकिन और देरी होने पर पैदावार प्रभावित होगी। -एसपी सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र

0 टिप्पणियाँ