बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है और अपराध भी है। हालांकि वर्तमान समय में बाल विवाह कम हुए हैं परंतु कहीं दूर दराज पिछड़े इलाकों में जब ऐसे मामले सामने आते हैं तब हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है। प्रशासन की टीम द्वारा भी कार्यवाही की जाती है। ऐसे ही दो मामले पोहरी में सामने आए। पोहरी में प्रशासन की टीम ने पहुंचकर एक बाल विवाह रुकवाया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल ने बताया कि पोहरी के छर्च में मुन्ना कुशवाह द्वारा 17 वर्षीय बेटी का विवाह किया जा रहा था। वहीं ग्राम महदेवा निवासी रामावतार आदिवासी द्वारा 17 वर्ष के बेटे का विवाह कराया जा रहा था।जब इसकी सूचना प्रशासन को मिली तब तत्काल नायब तहसीलदार, थाना प्रभारी के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग पोहरी के परियोजना अधिकारी नीरज गुर्जर ने पहुंचकर परिजनों को समझाइश दी और बाल विवाह रुकवाया। रूढ़ियों के नाम पर बचपन के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। बाल विवाह परंपरा नहीं बल्कि बच्चों के साथ क्रूरता है। जिले में होने वाले विवाह आयोजनों पर रहेगी प्रशासन की नजर जिले में होने वाले विवाह आयोजनों में बाल विवाह न हो इसके लिये जिला प्रशासन सभी तैयारियां पूर्ण कर लीं है। प्रत्येक विवाह आयोजन पर नजर रखने हेतु निगरानी दलों का गठन किया गया है। इसके लिए कलेक्टर एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी रवींद्र कुमार चौधरी ने समस्त मैदानी अधिकारियों को पूर्ण सतर्क रहने को निर्देशित किया है। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में निगरानी दलों को निर्देशित किया गया है कि बाल विवाह होने पर ग्राम स्तरीय अमले की जिम्मेदारी तय की जायेगी। बाल विवाह रोकथाम किसी एक व्यक्ति का नहीं,बल्कि उस गांव वार्ड के प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। स्कूलों के टीचर, ग्राम कोटवार, हल्का पटवारी,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सभी को अपने क्षेत्रों में अक्षय तृतीय से पूर्व भ्रमण कर बाल विवाह न हों यह सुनिश्चित करना होगा। सेवाप्रदाता भी सहयोग करें जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल ने बताया कि विवाह आयोजन के दौरान सेवाएं देने वाले सभी सेवा प्रदाताओं से अपील की गई है कि वह उम्र के प्रमाण लेने के बाद ही सेवाएं दें अन्यथा उनके विरुद्ध भी प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। यह कोई प्रथा नहीं कानूनी अपराध है लोगों को यह समझना चाहिए कि बाल विवाह बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास को प्रभावित करता है। यह बच्चों के साथ गम्भीर किस्म की क्रूरता है। जिसके लिए तीन साल तक की सजा एवं एक लाख रूपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। लोग बाल विवाह को सामाजिक रूढ़ियां मानते है ,वो यह समझ लें कि रूढ़ियों के नाम पर बचपन के साथ खिलवाड़ नहीं करने दी जाएगी। यहां दे सकेंगे सूचना कोई भी व्यक्ति जिसे बाल विवाह के आयोजन की जानकारी है वह सम्बंधित क्षेत्र के एसडीएम, परियोजना अधिकारी,थाना प्रभारी को सूचना दे सकता है। इसके अलावा चाइल्ड लाइन नं.1098 या 100 नम्बर या जिले के कंट्रोल रूम नंम्बर 07492356963 पर भी जानकारी दे सकते है।
0 टिप्पणियाँ