भोपाल : कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन के बाद एक बार फिर प्रदेश की विधानसभा पर सवाल खड़े होने लगे हंै। प्रदेश की विधानसभा पिछले 16 साल में 31 उपचुनाव देख चुकी है। 32 वां उपचुनाव भी आने वाले समय में जौरा विधानसभा सीट पर होगा। ये स्थिति बहुत कम समय के लिए बनी है जब विधानसभा में पूरे 230 सदस्य मौजूद रहे हों। उपचुनाव का सिलसिला 2003 से शुरु हुआ जो अब तक जारी है।
हाल ही में प्रदेश दो विधानसभा उपचुनाव से गुजर चुका है जिसमें छिंदवाड़ा और झाबुआ शामिल हैं। इन उपचुनाव के पीछे जो वजह हैं उनमें विधायकों का निधन, विधानसभा सीट छोड़कर लोकसभा चले जाना या फिर पार्टी बदलने के बाद अपनी सीट से इस्तीफा देना और फिर दूसरी पार्टी की टिकट पर दोबारा चुनाव लडऩा। 2013 में चुनाव के वक्त तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी का निधन हो गया था।
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वास्तु पर भी सवाल :
नई विधानसभा के वास्तु पर गाहे-बगाहे सवाल खड़े होते रहे हैं। वास्तुशास्त्री इसे भवन निर्माण का दोष बताते हैं लेकिन कई लोग इन बातों को अंधविश्वास मानते हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने इस भवन में कुछ बदलाव जरुर करवाए थे। इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज का कार्यक्रम विधानसभा भवन में कराया इतना ही नहीं उनको सदन में भी ले जाया गया। इन सभी बातों को वास्तु से जोड़कर देखा गया था।
इन विधानसभा सीट पर हुए उपुचनाव :
नोहटा, बालाघाट, बुदनी, बड़ा मलहरा, पंधाना, उदयपुरा, शिवपुरी, लांजी, सांवेर, गोहद, तेंदूखेड़ा, सोनकच्छ, कुक्षी, जबेरा, महेश्वर, विदिशा, बहोरीबंद, विजयराधौगढ़, आगर, गरोठ, देवास, मैहर, घोड़ाडोंगरी, नेपानगर, बांधवगढ़, अटेर, चित्रकूट, मुंगावली, कोलारस, छिंदवाड़ा और झाबुआ विधानसभा सीट शािमल हैं।
इस विधानसभा में इतने उपचुनाव :
- 12वीं विधानसभा - 9
- 13वीं विधानसभा - 6
- 14 वीं विधानसभा - 14
- 15वीं विधानसभा - 2, तीसरा अपेक्षित
- विधानसभा भवन में बहुत बड़ा वास्तु दोष है। अग्रिकोण में सदन लगता है। ढलान दक्षिण की तरफ है जबकि उत्तर-पूर्व होना चाहिए। विधानसभा दक्षिणमुखी है। गोल आकर है जबकि ये नहीं होना चाहिए। इन सब कारणों से विधानसभा के अंदर जाते ही एक अशांति सी लगने लगती है।
- मुकेश नायक पूर्व मंत्री,मप्र -
- विधायकों के लगातार दौरे, उनकी उम्र,बीमारी इसके पीछे कारण होती हैं लेकिन ये बात भी सच है कि वास्तु का प्रभाव तो होता है। आधुनिकतावादी भले ही इसे न माने लेकिन कहीं न कहीं ये सब बातें असर करती हैं। -
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वास्तु पर भी सवाल :
नई विधानसभा के वास्तु पर गाहे-बगाहे सवाल खड़े होते रहे हैं। वास्तुशास्त्री इसे भवन निर्माण का दोष बताते हैं लेकिन कई लोग इन बातों को अंधविश्वास मानते हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने इस भवन में कुछ बदलाव जरुर करवाए थे। इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज का कार्यक्रम विधानसभा भवन में कराया इतना ही नहीं उनको सदन में भी ले जाया गया। इन सभी बातों को वास्तु से जोड़कर देखा गया था।
इन विधानसभा सीट पर हुए उपुचनाव :
नोहटा, बालाघाट, बुदनी, बड़ा मलहरा, पंधाना, उदयपुरा, शिवपुरी, लांजी, सांवेर, गोहद, तेंदूखेड़ा, सोनकच्छ, कुक्षी, जबेरा, महेश्वर, विदिशा, बहोरीबंद, विजयराधौगढ़, आगर, गरोठ, देवास, मैहर, घोड़ाडोंगरी, नेपानगर, बांधवगढ़, अटेर, चित्रकूट, मुंगावली, कोलारस, छिंदवाड़ा और झाबुआ विधानसभा सीट शािमल हैं।
इस विधानसभा में इतने उपचुनाव :
- 12वीं विधानसभा - 9
- 13वीं विधानसभा - 6
- 14 वीं विधानसभा - 14
- 15वीं विधानसभा - 2, तीसरा अपेक्षित
- विधानसभा भवन में बहुत बड़ा वास्तु दोष है। अग्रिकोण में सदन लगता है। ढलान दक्षिण की तरफ है जबकि उत्तर-पूर्व होना चाहिए। विधानसभा दक्षिणमुखी है। गोल आकर है जबकि ये नहीं होना चाहिए। इन सब कारणों से विधानसभा के अंदर जाते ही एक अशांति सी लगने लगती है।
- मुकेश नायक पूर्व मंत्री,मप्र -
- विधायकों के लगातार दौरे, उनकी उम्र,बीमारी इसके पीछे कारण होती हैं लेकिन ये बात भी सच है कि वास्तु का प्रभाव तो होता है। आधुनिकतावादी भले ही इसे न माने लेकिन कहीं न कहीं ये सब बातें असर करती हैं। -
गोपाल भार्गव नेता प्रतिपक्ष,विधानसभा -
- किसी तरह का दोष बेवजह की बातें हैं, पुरानी विधानसभा में भी विधायकों का निधन हुआ है। जिंदगी और मौत सब विधि का विधान है और चलता रहता है।
- भगवानदेव इसराणी पूर्व प्रमुख सचिव,विधानसभा -
- किसी तरह का दोष बेवजह की बातें हैं, पुरानी विधानसभा में भी विधायकों का निधन हुआ है। जिंदगी और मौत सब विधि का विधान है और चलता रहता है।
- भगवानदेव इसराणी पूर्व प्रमुख सचिव,विधानसभा -
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