भोपाल। नेशनल पार्क से शहरों में आ रहे बाघों को रोकने के लिए अब मध्य प्रदेश सरकार पेंच-कान्हां नेशनल पार्क कॉरिडोर बनाने जा रही है। यह कॉरिडोर 7 करोड़ रूपए की लागत से बनेगा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल ही में क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैंपा) की राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक में कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दी है। उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए कैंपा फंड से प्रतिवर्ष राशि जारी करने को कहा है।
मुख्यमंत्री ने वन अधिकारियों से कहा है कि ये प्रोजेक्ट पांच साल में पूरा करें। कॉरीडोर में पौध रोपण, उसके संरक्षण तथा बांध बनाने का प्रस्ताव बारिश से पहले जिले स्तर पर तैयार किए जाएं। राज्य स्तरीय कमेटी से अनुमोदन मिलने के बाद वन विभाग ने इस प्रस्ताव को भारत सरकार को भेज दिया है।
केन्द्रीय कैंपा प्राधिकरण की मंजूरी मिलने के बाद कॉरीडोर के लिए राशि जारी कर दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में हर साल करीब 500करोड़ कैंपा फंड में सरकार को मिलेगा। प्रदेश में अकेले इस फंड में 2006-07 से लेकर अब तक 5 करोड़ रुपए जमा है, जिसका प्रतिवर्ष 500 करोड़ ब्याज बनता है।
प्रयोग सफल होने पर इसके बाद इसके बाद अलावा नौरादेही से रानी दुर्गावती सेंचुरी, संग्रामपुर- बाघवगढ़ से संजय टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़ के अचानक मार्ग टाइगर रिजर्व से कान्हा नेशनल पार्क को जोडऩे के लिए भी कॉरिडोर बनाया जाएगा।
कॉरिडोर के 6791 हेक्टेयर में होगा पौधरोपण
दोनों नेशनल पार्कों के बीच 1800 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनना है। इसके बीच 175 गांव बसे हुए हैं। इन सभी में अगले 3 साल में 3 लाख पेड़ खड़े करने का लक्ष्य है। जंगल भूमि पर प्लांटेशन का काम तो काफी समय से चल रहा है। लेकिन कुछ स्थानों पर निजी भूमियां होने के कारण कॉरिडोर के बीच गैप्स बन गए हैं।
इन्हें भरने के लिए स्थानीय किसानों के साथ एमओयू किया जाएगा। 6791 हेक्टेयर क्षेत्र की निजी भूमि में बांस समेत उन्नात किस्म के फल एवं औषधीय पौधे करनी, हर्रा, बहेड़ा, बांस, खामेर, लाडिया, आम एवं आवंला समेत स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाए जाना प्रस्तावित है। कॉरीडोरी में बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों को पानी पीने के लिए तालाब और बांध भी बनाए जाएंगे। जिससे पानी पीने वन्य प्राणी गांव और शहर की ओर रुख न करें।
बानाए जाएंगे अंडर और ओवर पास
कॉरीडोर के बीच से होकर जो भी सड़के निकल रही हैं, उनमें अंडर पास और ओवर पास बनाए जाएंगे। जिससे बाघ सहित अन्य वन्य जीव किसी वाहन की चपेट में न आ सकें। इसके अलावा वन्य जीव बिना किसी भी अवरोध के रोड क्रास कर सकें। कॉरिडोर सर्वे के बाद केन्द्र सरकार को भी रेल लाइन में अंडर पास बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। हर तीन से चार किलोमीटर दूरी पर अंडर पास बनाने की योजना तैयार की जा रही है।
कॉरिडोर से हटेंगे गांव
दोनों नेशनल पार्क के बीच 175 गांव बसे हुए हैं। इन गांवों को विस्थापित करने से पहले लोगों से सहमति ली जाएगी। लोगों को जमीन के बदले जमीन और घर का मुआवजा दिया जाएगा। जमीन की व्यवस्था राजस्व विभाग करेगा। उद्योग, डेम, खदान सहित अन्य योजनाओं के बदले में जो जमीन मिलेगा उसी जमीन पर गांवों के विस्थापन पर विचार किया जाएगा। जो गांव अथवा परिवार विस्थापित नहीं होते हैं उस क्षेत्र से कॉरीडोर को दूसरे तरफ से निकालते हुए उस क्षेत्र को संरक्षित किया जाएगा। गांवों के बीच में फैंसिंग के साथ पत्थर की दस फिट से अधिक ऊंची दीवार भी बनाई जाएगी।
0 टिप्पणियाँ