शिवपुरी. कोरोना का खौफ अब अपनी अगली स्टेज पर पहुंच चुका है। इसी के चलते शासन और प्रशासन तमाम तरह की अहतियात बरत रहे हैं। स्कूल, आंगनबाड़ी, न्यायालय परिसर, जन सुनवाई आदि को बंद कर दिया गया है ताकि लोगों के बीच इंफेक्शन फैलने का खतरा कम से कम किया जा सके। इतना सब होने के बाबजूद अभी तक किसी का ध्यान जिले की परिवहन व्यवस्था की तरफ नहीं गया है।
शिवपुरी में परिवहन की स्थिती यह है कि बस, ऑटो सहित अन्य यात्री वाहनों में चंद पैसों के लालच में लोगों को इस तरह ठूंस ठूंस कर भरा जा रहा है कि लोग एक-दूसरे की सांसों तक को महसूस कर सके। विचारणीय पहलू यह है कि क्या इन यात्री वाहनों में यात्रा करने वाले लोग अगर खांसेंगे, छीकेंगे तो क्या उनमें इंफेक्शन नहीं फैलेगा ?
पत्रिका ने गुरूवार को शहर के कई हिस्सों में जाकर इन यात्री वाहनों की हकीकत और यात्रियों सहित वाहन संचालकों की जागरूकता को परखने का प्रयास किया। जो कुछ सामने आया वह बेहद चौंकाने वाला था।
शहरी लोगों से लेकर सुदूर जंगली क्षेत्र में बसे लोगों तक को इस वायरस की जानकारी है, वह जानते हैं कि इस तरह बैठने, खड़े होने और यात्रा करने से उनमें इंफेक्शन फैल सकता है। इसके बावजूद वह कभी मजबूरी में कभी लापरवाही बरतते हुए यात्रा कर रहे हैं। खास बात यह है कि न तो यात्री वाहन संचालकों के समक्ष विरोध दर्ज करा रहे हैं और न ही जिम्मेदार अधिकारी।
कहां क्या मिले हालात
हालात-इस स्थान से कई छोटे यात्री वाहन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम करते हैं। चंद पैसों के लालच में यह लोग ओवर लोडिंग करते हैं व क्षमता से दोगुनी सवारियां भरकर सड़क पर फर्राटे भरते हैं। ऐसे ही एक वाहन चालक से जब पत्रिका ने पूछा कि कोरोना का खौफ है, फिर भी इतनी अधिक सवारियां क्यों बिठा रहे हो ? तो वाहन चालक यह कहते हुए वाहन लेकर भाग गया कि वीडियो मत बनाओ....। उसकी चुप्पी यह बताने की लिए पर्याप्त थी कि वह लापरवाही बरतते हुए लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है।
हालात-इस स्थान से कई छोटे यात्री वाहन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम करते हैं। चंद पैसों के लालच में यह लोग ओवर लोडिंग करते हैं व क्षमता से दोगुनी सवारियां भरकर सड़क पर फर्राटे भरते हैं। ऐसे ही एक वाहन चालक से जब पत्रिका ने पूछा कि कोरोना का खौफ है, फिर भी इतनी अधिक सवारियां क्यों बिठा रहे हो ? तो वाहन चालक यह कहते हुए वाहन लेकर भाग गया कि वीडियो मत बनाओ....। उसकी चुप्पी यह बताने की लिए पर्याप्त थी कि वह लापरवाही बरतते हुए लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहा है।
हालात-यहां एक यात्री बस, यात्री भर कर बस स्टैंड से गुना की तरफ जाने के लिए आई। बस में इतने यात्री सवार थे कि उसमें पैर तक रख पाना मुश्किल हो रहा था, इसके बाबजूद बस के स्टाफ ने उसमें करीब दर्जन भर यात्री और भर लिए।
पत्रिका ने जब बस के अंदर की स्थिती को समझने का प्रयास किया तो पता चला कि यात्री एक दूसरे पर लदे हुए थे। जब बस के कंडक्टर से इस संबंध में पूछा कि कोरोना के खौफ के बावजूद इतने यात्री क्यों बिठा रहे हो तो वह यह कहते हुए बस को वहां से भगवा ले गया कि स्टूडेंट हैं।
मैजिक में एक दर्जन से अधिक सवार
हालात-यहां से भी कई छोटे यात्री वाहन तमाम गांवों में लोगों को ले जाने और वहां से लाने का काम करते हैं। यहां एक मैजिक वाहन में यात्रियों को भरा जा रहा था। वाहन में आगे से पीछे तक करीब एक दर्जन से अधिक यात्री सवार थे, बाबजूद इसके और यात्रियों का इंतजार किया जा रहा था।
पत्रिका ने वाहन में सवार यात्रियों से जब कोरोना के संबंध में पूछा तो वह ग्रामीण इस वायरस के बारे में बेहतर ढंग से जानते थे, परंतु इस तरह यात्रा करने के प्रश्न पर यह कहने लगे कि इस तरह से यात्रा करना उनकी मजबूरी है। वह ड्रायवर के समझ विरोध दर्ज कराते हैं परंतु वह ओव्हर लोडिंग करता है।
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