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GWALIOR में भगवान वायरस से पीड़ित, 7 दिन के लिए सेल्फ क्वॉरेंटाइन

Gwalior Video News : वायरल होने के बाद 7 दिन क्वारंटाइन में गए भगवान जगन्नाथ, प्रसाद में है ऐसा अनोखा चमत्कार

 ग्वालियर। क्वॉरेंटाइन भले ही ज्यादातर लोगों के लिए एक नया शब्द हो परंतु संक्रमित मरीज के एकांतवास की परंपरा भारत में 5000 साल पुरानी है। लोगों को यह याद रहे कि संक्रामक रोग से पीड़ित होने पर एकांतवास में जाना अनिवार्य है, भगवान जगन्नाथ स्वयं वर्ष में एक बार एकांतवास पर जाते हैं। कुलैथ में विराजमान भगवान जगन्नाथ 16 जून को संक्रमण का शिकार हो गए। इसलिए 7 दिन तक होम क्वॉरेंटाइन में रहेंगे। इस दौरान भक्त उनके दर्शन नहीं कर सकते।

क्वॉरेंटाइन: भारत की स्थापित प्राचीन परंपराओं में से एक है


हर साल संक्रमण का शिकार होकर होम क्वारंटाइन में जाते हैं भगवान

कोरोना महामारी के दौरान एक शब्द सबसे अधिक प्रचलित हुआ है वह है क्वारंटाइन। लेकिन इस शब्द का महत्व सनातन हिंदू धर्म के प्रचलन में कई सदियों से है। कुलैथ में भगवान जगन्नाथ का मंदिर है। इस मंदिर में हर साल आषाढ़ मास में अमावस्या को तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान भगवान का भंडारा और रथयात्रा का आयोजन होता है। लेकिन इस मेले से ठीक 7 दिन पहले भगवान जगन्नाथ वायरस से संक्रमित होते हैं। उनके मुख्य सेवक द्वारा बताया जाता है कि भगवान खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित हुए हैं। इस दौरान उन्हें 7 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर दिया जाता है। जिसे 'एकांतवास' कहा गया है। इस बार जगन्नााथजी का मेला 23 जून से प्रारंभ होगा। 

इस परंपरा का पालन क्यों किया जाता है 

अधूरे विज्ञान की भक्ति करने वाले अक्सर इस तरह की परंपराओं का मजाक उड़ाते हैं। दरअसल ऐसे लोग इन परंपराओं के पीछे उपस्थित व्यापक जनहितकारी महत्व को समझ नहीं पाते। भगवान के संक्रमित या बीमार होकर एकांतवास में जाने के पीछे संदेश सिर्फ इतना है कि यदि कोई भी मनुष्य किसी संक्रामक रोग से शिकार होता है तो उसे कम से कम 7 दिन के लिए समाज के संपर्क से दूर हो जाना चाहिए। एकांतवास में चला जाना चाहिए। अब तो चीन ने भी बता दिया आएगी होम क्वॉरेंटाइन करना चाहिए।

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