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MP : अहमदाबाद ब्लास्ट के फांसी वाले 6 आतंकी भोपाल जेल में

 अहमदाबाद बम ब्लास्ट-2008 मामले में 38 आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें से SIMI (स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) के 6 आतंकी भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद हैं। इनमें ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी भी शामिल है। फांसी की सजा की खबर मिलने के बाद भी नागौरी नॉर्मल दिख रहा है। उसने जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे से कहा कि संविधान हमारे लिए मायने नहीं रखता, हम कुरान का फैसला मानते हैं।

नरगावे के मुताबिक, केंद्रीय जेल भोपाल में 5 साल पहले जब नागौरी को शिफ्ट किया गया था, तब वह जेल अधिकारियों-कर्मचारियों को खुलेआम धमकी देता था कि तुम्हारी इतनी औकात नहीं है, जो हमें ऑर्डर करो। वह राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रगान के दौरान अजीब हरकतें करता है। अधिकारियों को बोलता है कि हम देशभर की जेल में घूम चुके हैं। जेल का कायाकल्प कर दूंगा...। वो कई बार भोपाल की जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट करने के लिए कोर्ट में पिटीशन भी लगा चुका है। उसे भोपाल जेल में अलग बैरक में रखा जाता है। नागौरी प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का राष्ट्रीय महासचिव रहा है।

भोपाल जेल में बंद इन आतंकियों को मिली है सजा

1. सफदर नागौरी (फांसी)
2. शिवली (फांसी)
3. शादुली (फांसी)
4. आमिल परवेज (फांसी)
5. कमरुद्दीन नागौरी (फांसी)
6. हाफिज (फांसी)

7. अंसाब (उम्रकैद)

100 से अधिक अपराध हैं नागौरी के नाम पर
सफदर नागौरी उज्‍जैन के महिदपुर गांव का रहने वाला है। उसके पिता क्राइम ब्रांच के असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर रहे हैं। साल 2001 में SIMI पर प्रतिबंध लगने के बाद नागौरी अंडरग्राउंड हो गया था। उज्‍जैन के महाकाल पुलिस थाने में नागौरी के खिलाफ 1997 में पहला मुकदमा दर्ज किया गया। उसे 11 दिसंबर 2000 को भगोड़ा घोषित किया गया था।

देशभर में नागौरी के खिलाफ 100 से अधिक अपराध दर्ज हैं। वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का वह मास्‍टरमाइंड था। 26 जुलाई 2008 को हुए इन धमाकों में 57 लोगों की मौत हुई थी। इसमें सफदर नागौरी की बड़ी भूमिका थी। नागौरी को पुलिस ने 26 मार्च 2008 को इंदौर के संयोगितागंज के एक फ्लैट से गिरफ्तार किया था। अभी भोपाल की जेल में SIMI के 24 आतंकी बंद हैं।

ये खबर भी पढ़ें- CM योगी आदित्यनाथ बोले : गुजरात सीरियल ब्लास्ट के एक आतंकी को फांसी, उसके परिवार का संबंध सपा से, अनुमान लगाइए इनके मंसूबे क्या? ​​​​​​​

1977 में SIMI का UP में हुआ गठन
'स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' यानी SIMI का गठन वर्ष 1977 के अप्रैल माह में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। अमेरिकी राज्य इलिनोय के एक प्रोफेसर मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दीकी को संगठन का संस्थापक बताया जाता है। भारत में इस संगठन पर वर्ष 2001 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिर दो अलग-अलग बार इसे प्रतिबंधित करने के अध्यादेश भारत सरकार ने जारी किए। तब से इसकी गतिविधियां पूरी तरह से भूमिगत हैं।

शुरुआती दौर में SIMI 'जमात-ए-इस्लामी' की छात्र इकाई के रूप में जाना जाता था, लेकिन वर्ष 1981 में यह संगठन 'जमात-ए-इस्लामी' से अलग हो गया। SIMI इस्लामिक राज्य की स्थापना के सिद्धांत पर चलता है और इस्लाम का प्रसार ही इस संगठन का मूल विचार है।

पहला बैन अमेरिका के 9/11 हमले के बाद
SIMI पर पहला प्रतिबंध 27 सितंबर वर्ष 2001 में अमेरिका में साल 2001 में हुए 9/11 हमले के बाद लगाया गया था। यह प्रतिबंध इस संगठन पर अगले दो सालों तक चलता रहा यानी सितंबर 2003 तक। इस दौरान संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने के आरोप में कई लोगों को भारत के विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार किया गया। उन पर चरमपंथ और संगीन अपराधों को रोकने के लिए बनाए गए विभिन्न कानूनों के तहत कार्रवाई हुई।

र में कहा था कि SIMI की बजरंग दल या विश्व हिंदू परिषद से तुलना ठीक नहीं है। उनका दावा था कि SIMI शरीयत के मुताबिक मुस्लिम छात्रों के चरित्र निर्माण में जुटी है। देश के 17 राज्यों में संगठन के 950 अंसार (सक्रिय सदस्य) हैं। SIMI' ने तब सबको चौंका दिया था, जब उसने 'फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन' (PLO) के नेता यासिर अराफात का भारत आने पर विरोध किया था।

संगठन के कार्यकर्ताओं ने 1981 में अराफात को काले झंडे भी दिखाए थे और उन्हें पश्चिमी मुल्कों का एजेंट बताया था। यहीं से जमात-ए-इस्लामी और SIMI के बीच तल्खियां बढ़ीं और जमात-ए-इस्लामी ने SIMI को संगठन से अलग कर दिया, क्योंकि जमात वाले अराफात को हीरो मानते थे

जमात-ए-इस्लामी ने छात्र इकाई बनाई, जिसका नाम 'स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन' (SIO) रखा गया है। सिमी के अध्यक्ष शाहिद बदर फलाह को दिल्ली के जाकिर नगर के इलाके से गिरफ्तार किया गया था। संगठन के सचिव सफदर नागौरी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। भारत की सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि SIMI ने अपना जाल नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में फैला रखा है।

अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई। इनमें UP के 8 दोषी हैं, जिन्हें कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इन 8 दोषियों में 5 आजमगढ़ के रहने वाले हैं। जबकि एक-एक दोषी मेरठ, बिजनौर और बुलंदशहर के रहने वाले हैं।

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले के दोषियों में कोटा के तीन युवक भी शामिल थे। शहर के आम लोगों के बीच रह रहे ये तीन आतंकी थे इमरान, अतीकुर रहमान और महेंदी हसन अंसारी। अदालत ने तीनों को आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। भास्कर ने इन तीनों की जानकारी जुटाई। पता चला कि एक कोटा के किशोरपुरा इलाके का रहने वाला है। वहीं दूसरा घंटाघर इलाके का। जब उनके परिवार से बात करनी की कोशिश की गई तो कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ। न ही पड़ोसियों ने कुछ कहा। सभी इस मामले से दूर रहना चाहते हैं।



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