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नवनियुक्त मैदानी कृषि विस्तार अधिकारियों एवं विभागीय अधिकारियों का ओरिएंटेशन सह प्रशिक्षण आयोजित

braj rawat 
 किसान कल्याण तथा कृषि विकास एवं कृषि तकनीक प्रबंधन समिति के मैदानी कार्यकर्ताओं के साथ नवनियुक्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों का विभागीय प्रशिक्षण सह ओरिएंटेशन आयोजित किया गया। 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में ग्राम पंचायत रातौर के सरपंच श्री रामकुमार धाकड़ तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि एवं कार्यक्रम के उपसंचालक श्री यू.एस.तोमर उपस्थित थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.एस.पी.सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। 
जिले में धान फसल जो 20-25 दिन की पौध लगाने उपरांत की अवस्था में है, उसमें कृषक भाई खरपतवार नाशक दवा डालने के एक दिन पूर्व खेत से पानी निकालकर अगले दिन विषपायरीबेक सोडियम 10 प्रतिशत एस.सी. की 500 लीटर पानीमें 250 मिली दवा मिलाकर प्रति हैक्टेयर के हिसाब से फसल में छिड़काव करें। दवा छिड़काव करने के उपरांत खेत में अगले दिन 3-5 सेमी पानी पुनः भर दें। यदि खेतों में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का प्रकोप अधिक हो तो विषपायरीबेक सोडियम के स्थान पर क्लोरीम्यूरॉन इथाइल एवं मेटसल्फ्यूरॉन मिथाइल के पूर्व मिश्रित उत्पाद (ऑलमिक्स) 20 ग्राम/हैक्टेयर के मान से 25-30 दिन पौध लगाने के बाद की अवस्था में धान फसल में छिड़काव करें।
सोयाबीन में कीट नियंत्रण के लिए थायोमिथक्जाम+लेमिडासायहेलोथ्रिन के पूर्व मिश्रित कीटनाशक की 125 मिली प्रति हैक्टर में छिड़काव करें। छिड़काव के लिए 500 लीटर पानी प्रति हैक्टर में उपयोग कराए। उड़द-मूंग में कीट व्याधि नियंत्रण के लिए रोगग्रसित पौधों को प्राथमिक अवस्था पर ही निकालकर नष्ट करें तथा जमीन में दबा दें तथा इस रोग के वाहक चूसक कीट (सफेद मक्खी) के नियंत्रण के लिए कीटनाशक इमिडाक्लोप्रिड 17.6 एस.एल. 3 मिली. प्रति 5 लीटर पानी में घोल या नीमतेल 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। 
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जिले के अनुकूल कृषि तकनीकियों के प्रसार की जानकारी पॉवरपाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से दी गई। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ.एम.के.भार्गव द्वारा जिले के फसल विविधीकरण तथा संभावनाओं के बारे में बतलाया गया। प्राकृतिक खेती के बारे में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.एस.पी.सिंह द्वारा जानकारी दी गई। 
डॉ. शैलेन्द्र सिंह कुशवाह द्वारा खरीफ फसलों में खरपतवारों की पहचान एवं प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी दी गई। डॉ.जे.सी.गुप्ता, डॉ.पुष्पेन्द्र सिंह द्वारा खरीफ फसलों में प्रजातियों की जानकारी तथा बीजोत्पादन के बारे में बतलाया गया। डॉ. ए.एल.बसेड़िया द्वारा कृषि अभियांत्रिकी के बारे में तकनीकी जानकारी दी गई। डॉ. नीरज कुमार कुशवाहा द्वारा कृषिवानिकी के बारे में बतलाया गया। श्री विजय प्रताप सिंह द्वारा कृषि मौसम परामर्श सेवाओं के बारे में जानकारी देते हुए मौसम संबंधित मोबाइल एप के बारे में परामर्श दिया गया। केन्द्र के कार्यालय अधीक्षक सह लेखापाल श्री सतेन्द्र गुप्ता एवं स्टेनो कु. आरती बंसल का भी सहयोग रहा। 

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