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श्रीगोपाल गुप्ता
देश के ह्रदय राज्य मप्र के उत्तर में मौजूद मुरैना जिला और चम्बल संभाग का मुख्यालय है! कभी अशिक्षा,पिछड़ापन और बागियों की बंदूक की गोलियों से बेहड़ों का सीना चीरकर रख देने वाला मुरैना अब तेजी से बदल रहा है! अब ज्यादातर लोगों में एक-दूसरे के खून से हाथ रंगने के वजाय एक-दूसरे का सहारा बनने की ललक दिखाई देती है! पिछले तीन साल में चम्बल के चेहरे को बदलने का अथक प्रयास कर रही सामाजिक संस्था 'नेकी की दीवार' और उसकी टीम अब अपने मिशन में काफी सफल हो रही है! नतिजा भी सुखद बनकर जब सामने आया तब पूरी दुनिया के साथ-साथ मुरैना जिला भी पिछले 22 मार्च से कोरोना वायरस के डर से लाॅकडाऊन की मार अपने घरों में रहकर झेल रहा था! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत 22 मार्च को कोरोना से देश को बचाने के लिये एक दिन के जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था उसी दिन से मुरैना लाॅकडाऊन की भेंट चढ़ गया! सारा का सारा जीवन चक्र जहां का तहां रुक गया, चारो तरफ सन्नाटा और इसको चीरते हुये पुलिस के आवाज करते वाहनों का दम घोंटू
वातावरण! बिना किसी तैयारी के लोग घरों में कैद हो गये ,बहुत से लोगों के पास खाने-पीने का सामान उपलब्ध नहीं तो बहुतों के पास जरुरी खान-पीन का सामान खरीदने के लिए पैसा नहीं! अजीब कशमोकश में जीवन से हर आदमी को दो-चार होना पढ़ रहा था,अचानक चारो तरफ केवल अनसुलझी जीवन जीने की पहेली आ खड़ी हुई! सबसे बड़ा संकट तो उन लोगों के लिए उठ खड़ा हुआ जिनके पास जरुरी सामान व दवा खरीदने के लिए पैसा नहीं था ऊपर से उनके किसी करीब का साया उठ गया ,किसी बड़ी आपदा या त्रासदी से कम नहीं था! सबसे बड़ी त्रासदी तो सामने यह थी कि अंतिम संस्कार के लिए 20 लोगों से ज्यादा एकत्रित होने की इजाजत नहीं और कर्फ्यू लागू होने के कारण किसी को भी घर से निकलने की मनाई! ऐसी बिसम और गहरी आपदा में जिले की मात्र तीन वर्ष पुरानी सामाजिक संस्था 'नेकी की दीवार ' और इसके संचालक मनोज जैन और उनकी सुयोग्य टीम ने चम्बल का नाम रोशन करते हुये प्रत्येक उस जरुरत मंद परिवारों की मदद उस परिवार के सदस्यों की तरह से ही की! इससे किसी के स्वाभिमान को चोट न पहुंचे क्योंकि चम्बल और चम्बल का पानी स्वाभिमान की जीती-जागती मिसाल है, जिस पर जरा सी आंच चम्बलांचल के लालों को पंसद नहीं है!
मामला चाहे किसी के घर भरी रात या दिन में राशन व खाना पहुंचाने का हो या फिर किसी बीमार को दवा पहुंचाने का हो मगर सूचना मिलते ही मदद पहुंचाना 'नेकी की दीवार' का मानो एकमात्र लक्ष्य और काम हो! लाखों रुपयों का खाद्य सामान और दवायें नेकी की दीवार ने जरुरत मंदों के घर समय रहते पहुंचाया! मजे की बात सामने यह आई कि जिनके पास खरीदने की क्षमता थी उसे शुद्ध और मानक पर खरी उतरने वाली खाद्य सामग्री उचित और 'नो प्रोफिट और नो लोस' में दी गई और जिन पर खरीदने की क्षमता नही थी उन्हें पूरे सम्मान के साथ मदद इस प्रकार से दी गई कि उनके बगल बालों को भी यह जानकारी नहीं है कि सामान उनके पड़ोसी को निशुल्क दिया गया है! साधारण भेसभूषा में लपटे मगर असाधारण क्षमता के धनी मनोज जैन और उनकी टीम के महत्वपूर्ण सदस्य जो दिखने में साधारण लगते हैं मगर सेवा कार्यों में असाधारण क्षमता रखते हैं! इस टीम के द्वारा मानवता की सेवा में उठाया गया एक कदम अभिभूत कर देने वाला है! वह है लाॅकडाऊन में अपनों को खो चुके परिवार के सदस्यों ने पूरा देश बंद होने के कारण अपनों की अस्थियों को सोरोंजी की हाड़गंगा में न सिराते हुये मुरैना बड़ोखर मुक्तिधाम स्थित लाॅकर में ही रख छोड़ा था! चूकी एक जगह से दूसरी जगह जाने पर प्रतिबंध था और परिवहन के सभी साधन बंद थे और पैसा भी एक बाधक था! ऐसे में नेकी की दीवार संचालक गण और टीम ने लाॅकडाऊन में एकत्रित हुये 50 अस्थि कलशों को उनके परिवारों के साथ हिंदू धर्म के सबसे बड़े तीर्थ उत्तरप्रदेश सोरों जी में विसर्जन के लिए गत रविवार को रवाना किया! फूल-मालाओं से सजे रथ(बस) को जिला कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास ने स्थानीय रामजानकी मंदिर जीवाजीगंज से हरी झंडी दिखाकर सोरों जी के लिये रवाना किया! रथ में मृतक परिवार के सदस्यों का पूरा मेडिकल परिक्षण करवाकर खाने के पैकटों के साथ रवाना किया गया! जहां सोमवार को परिजनों द्वारा पूरे विधी-विधान के साथ सोरों जी में अपने परिजनों के अस्थि कलशों का विसर्जन किया गया एंव ईश्वर को धन्यवाद देते हुये उन्होने नेकी की दीवार और उनकी टीम की सलामती के लिए दुआएं की! सच है कि अपने लिये तो पशु भी कर लेते हैं, गैरों की सेवा करना ही मनुष्यता है! कास देश के सभी जिलों में नेकी की दीवार और उसके निशपक्ष सदस्य मनोज जैन, पंकज गुप्ता, राजेन्द्र गोयल (रज्जो) अनिल सि
श्रीगोपाल गुप्ता
देश के ह्रदय राज्य मप्र के उत्तर में मौजूद मुरैना जिला और चम्बल संभाग का मुख्यालय है! कभी अशिक्षा,पिछड़ापन और बागियों की बंदूक की गोलियों से बेहड़ों का सीना चीरकर रख देने वाला मुरैना अब तेजी से बदल रहा है! अब ज्यादातर लोगों में एक-दूसरे के खून से हाथ रंगने के वजाय एक-दूसरे का सहारा बनने की ललक दिखाई देती है! पिछले तीन साल में चम्बल के चेहरे को बदलने का अथक प्रयास कर रही सामाजिक संस्था 'नेकी की दीवार' और उसकी टीम अब अपने मिशन में काफी सफल हो रही है! नतिजा भी सुखद बनकर जब सामने आया तब पूरी दुनिया के साथ-साथ मुरैना जिला भी पिछले 22 मार्च से कोरोना वायरस के डर से लाॅकडाऊन की मार अपने घरों में रहकर झेल रहा था! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत 22 मार्च को कोरोना से देश को बचाने के लिये एक दिन के जनता कर्फ्यू का ऐलान किया था उसी दिन से मुरैना लाॅकडाऊन की भेंट चढ़ गया! सारा का सारा जीवन चक्र जहां का तहां रुक गया, चारो तरफ सन्नाटा और इसको चीरते हुये पुलिस के आवाज करते वाहनों का दम घोंटू
वातावरण! बिना किसी तैयारी के लोग घरों में कैद हो गये ,बहुत से लोगों के पास खाने-पीने का सामान उपलब्ध नहीं तो बहुतों के पास जरुरी खान-पीन का सामान खरीदने के लिए पैसा नहीं! अजीब कशमोकश में जीवन से हर आदमी को दो-चार होना पढ़ रहा था,अचानक चारो तरफ केवल अनसुलझी जीवन जीने की पहेली आ खड़ी हुई! सबसे बड़ा संकट तो उन लोगों के लिए उठ खड़ा हुआ जिनके पास जरुरी सामान व दवा खरीदने के लिए पैसा नहीं था ऊपर से उनके किसी करीब का साया उठ गया ,किसी बड़ी आपदा या त्रासदी से कम नहीं था! सबसे बड़ी त्रासदी तो सामने यह थी कि अंतिम संस्कार के लिए 20 लोगों से ज्यादा एकत्रित होने की इजाजत नहीं और कर्फ्यू लागू होने के कारण किसी को भी घर से निकलने की मनाई! ऐसी बिसम और गहरी आपदा में जिले की मात्र तीन वर्ष पुरानी सामाजिक संस्था 'नेकी की दीवार ' और इसके संचालक मनोज जैन और उनकी सुयोग्य टीम ने चम्बल का नाम रोशन करते हुये प्रत्येक उस जरुरत मंद परिवारों की मदद उस परिवार के सदस्यों की तरह से ही की! इससे किसी के स्वाभिमान को चोट न पहुंचे क्योंकि चम्बल और चम्बल का पानी स्वाभिमान की जीती-जागती मिसाल है, जिस पर जरा सी आंच चम्बलांचल के लालों को पंसद नहीं है!
मामला चाहे किसी के घर भरी रात या दिन में राशन व खाना पहुंचाने का हो या फिर किसी बीमार को दवा पहुंचाने का हो मगर सूचना मिलते ही मदद पहुंचाना 'नेकी की दीवार' का मानो एकमात्र लक्ष्य और काम हो! लाखों रुपयों का खाद्य सामान और दवायें नेकी की दीवार ने जरुरत मंदों के घर समय रहते पहुंचाया! मजे की बात सामने यह आई कि जिनके पास खरीदने की क्षमता थी उसे शुद्ध और मानक पर खरी उतरने वाली खाद्य सामग्री उचित और 'नो प्रोफिट और नो लोस' में दी गई और जिन पर खरीदने की क्षमता नही थी उन्हें पूरे सम्मान के साथ मदद इस प्रकार से दी गई कि उनके बगल बालों को भी यह जानकारी नहीं है कि सामान उनके पड़ोसी को निशुल्क दिया गया है! साधारण भेसभूषा में लपटे मगर असाधारण क्षमता के धनी मनोज जैन और उनकी टीम के महत्वपूर्ण सदस्य जो दिखने में साधारण लगते हैं मगर सेवा कार्यों में असाधारण क्षमता रखते हैं! इस टीम के द्वारा मानवता की सेवा में उठाया गया एक कदम अभिभूत कर देने वाला है! वह है लाॅकडाऊन में अपनों को खो चुके परिवार के सदस्यों ने पूरा देश बंद होने के कारण अपनों की अस्थियों को सोरोंजी की हाड़गंगा में न सिराते हुये मुरैना बड़ोखर मुक्तिधाम स्थित लाॅकर में ही रख छोड़ा था! चूकी एक जगह से दूसरी जगह जाने पर प्रतिबंध था और परिवहन के सभी साधन बंद थे और पैसा भी एक बाधक था! ऐसे में नेकी की दीवार संचालक गण और टीम ने लाॅकडाऊन में एकत्रित हुये 50 अस्थि कलशों को उनके परिवारों के साथ हिंदू धर्म के सबसे बड़े तीर्थ उत्तरप्रदेश सोरों जी में विसर्जन के लिए गत रविवार को रवाना किया! फूल-मालाओं से सजे रथ(बस) को जिला कलेक्टर श्रीमती प्रियंका दास ने स्थानीय रामजानकी मंदिर जीवाजीगंज से हरी झंडी दिखाकर सोरों जी के लिये रवाना किया! रथ में मृतक परिवार के सदस्यों का पूरा मेडिकल परिक्षण करवाकर खाने के पैकटों के साथ रवाना किया गया! जहां सोमवार को परिजनों द्वारा पूरे विधी-विधान के साथ सोरों जी में अपने परिजनों के अस्थि कलशों का विसर्जन किया गया एंव ईश्वर को धन्यवाद देते हुये उन्होने नेकी की दीवार और उनकी टीम की सलामती के लिए दुआएं की! सच है कि अपने लिये तो पशु भी कर लेते हैं, गैरों की सेवा करना ही मनुष्यता है! कास देश के सभी जिलों में नेकी की दीवार और उसके निशपक्ष सदस्य मनोज जैन, पंकज गुप्ता, राजेन्द्र गोयल (रज्जो) अनिल सि
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