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MP में शुरू हुई शराब की दुकान की बिक्री, स्टाफ की कमी से 92 में से खुली 32 दुकानें


भोपाल।प्रदेश में कोरोना(corona) संक्रमण के मंगलवार को राजधानी में शराब(liquor) की बिक्री शुरू हो गई इन दुकानों को आबकारी विभाग(Excise Department) द्वारा चलाया गया। शहर में कुल 32 दुकनें ही खुली क्यूंकि आबकारी विभाग के पास पर्याप्त स्टाफ(staff) नहीं है। वहीँ आबकारी विभाग ने होमगार्ड(homeguard) के 3996 जवान मांगे थे। जिसकी वजह से विभाग महज इतने ही शराब दुकानें संचालित करवा सकी। हलाकि जितनी भी दुकानें शहर में खुली उनमें लोगों की बड़ी बड़ी कतारे देखने को मिली लोग सोशल डिस्टन्सिंग(social  distancing) का पालन करते हुए शराब की खरीददारी कर रहे थे।
दरअसल शराब ठेकेदारों के की मांग पूरी न करने के बाद कोर्ट के आदेश तहत उन्होंने शराब दुकानों को सरकार के हवाले कर दिया था। जिसके बाद सरकार के आबकारी विभाग द्वारा मंगलवार से इसे शहर में पुनः संचालित किया जा रहा है। लेकिन स्टाफ कम होने की वजह से शहरों के सारी दुकानों को नहीं खोला जा सका। राजस्व(revenue) के लिए तमाम प्रयासों के बाद भी सरकार सभी दुकानों को नहीं खुलवा सकी क्योंकि आबकारी विभाग ने प्रदेश में सभी दुकानें चलाने के लिए होमगार्ड मांगे थे लेकिन होमगार्ड डीजी(homeguard DG) ने कोरोना संकट में इतना बड़ा स्टाफ देने से इंकार कर दिया। वहीँ आबकारी अमले की कमी के चलते अब प्रदेश के अपर आबकारी आयुक्त(Additional Excise Commissioner) ने सभी कलेक्टर(collector) को आउटसोर्सिंग(outsourcing) पर दुकानें चलाने की मंजूरी दे दी है। अब 10 जून से करीब 2017 होमगार्ड सैनिक विभाग के साथ मिलकर शराब की दुकान संचालित करेंगे।
बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद कई ठेकेदारों ने शराब की दुकानें सरेंडर कर दी है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित कई जिलों में ठेकेदारों ने शराब दुकानें सरकार को सौंप दी हैं। दरअसल सरकार द्वारा अपनी मांगों के पूरा नहीं होने पर शराब ठेकेदारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जहाँ कोर्ट ने सभी शराब ठेकेदारों को कहा कि सरकार ने जो नई नीति बनाई है वो जिन ठेकेदारों को मंजूर है वे तीन दिन के अंदर शपथ पत्र के साथ हाईकोर्ट के समक्ष रखें और जिन्हें मंजूर नहीं है वे अपनी दुकान सरेंडर कर सकते हैं। इस दौरान सरकार की नई नीति को नहीं मानने वालों पर सरकार कोई रिकवरी नहीं करेगी। इसके बाद कई जिलों में ठेकेदारों ने दुकानें सरकार को सौंप दी थी।

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