अगर कोई कम बोलता है या अपनी बात ठीक तरह से नहीं रख पा रहा तो इसका यह अर्थ नहीं कि वह गलत है। एक काउंसलर को उसकी मनोस्थिति को समझना होगा। उसके भीतर जो दर्द, जो घुटन छुपी है उसे महसूस करना होगा। तभी वह बेहतर काउंसलर है। काउंसलिंग सिर्फ सलाह देने तक सीमित नहीं है। हमें उनको इतना मानसिक हौसला देना होगा कि वो खुद अपनी समस्याओं का हल निकालने में सक्षम हो सके।
यह बात पीएस होटल में आयोजित परामर्शदाताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम में मनोवैज्ञानिक प्रिया सोनपर ने कही। महिला एवं बाल विकास द्वारा महिलाओं और बच्चों के मनोसामाजिक परामर्श विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में पुलिस परिवार परामर्श केंद्र, वन स्टॉप सेंटर, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन एवं बाल संरक्षण से जुड़े परामर्शदाता एवं परामर्श कार्यों से जुड़े अधिकारी कर्मचारी सामिल थे।प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल, एडिशनल एसपी प्रवीण कुमार भूरिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र सुंदरियाल, सहायक संचालक आकाश अग्रवाल, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष डॉ.सुषमा पांडेय एवं पुलिस परिवार परामर्श केंद्र के कॉर्डिनेटर आलोक एम इंदौरिया मौजूद रहे।
व्यक्ति के कार्यों का परिणाम उसकी मनोस्थिति पर निर्भर करता है, सकारात्मक सोच के साथ किया जाने वाला हर कार्य बेहतर परिणाम देता है। केवल अच्छी सोच का होना ही पर्याप्त नहीं है,बल्कि उस सोच को व्यवहारिकता लाना जरूरी है। हमारा जैसा नजरिया होगा,हमें वैसा ही परिवेश दिखाई देता है।
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