शिवपुरी। श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, शिवपुरी में मेडिसिन विभाग द्वारा अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस के मार्गदर्शन में विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रीति निगोटिया के नेतृत्व में विश्व एनिमिया जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस ने विश्व एनिमिया दिवस कार्यक्रम के दौरान कहा कि आदिवासी इलाकों में एनिमिया सिकल सेल रोग वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, ये रक्त को प्रभावित करने वाली बीमारी है। इस रोग के कारण रक्त कोशिकाओं के भीतर हीमोग्लोबिन का स्तर प्रभावित होने लगता है। सिकल सेल रोग (एससीडी) सबसे आम वंशानुगत रक्त विकार है। रक्त वाहिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा महत्वपूर्ण है, इसी की मदद से आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार होता है। एससीडी के शिकार लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है। इसके लिए हमारे मेडिकल कॉलेज के पी एस एम विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर राजेश अहिरवार द्वारा गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए हमारे मेडिकल कॉलेज द्वारा कुछ गांव को गोद भी लिया गया है।
इसी क्रम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रीति निगोटिया ने बताया कि सिकल सेल एक प्रकार की जेनेटिक बीमारी होती है। जिसमें व्यक्ति के शरीर में रेड ब्लड सेल की कमी हो जाती है। साथ ही यह सी आकर या हासिये के आकार की हो जाती है। इस वजह से इसे सिकल सेल एनीमिया कहा जाता है। उन्होंने कहा कि सामान्य शरीर में रेड ब्लड सेल 100 से 120 दिन तक जीवित रहते हैं। परंतु सिकल सेल एनीमिया बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में रेड ब्लड सेल 8-10 दिनों के अंदर समाप्त होने लगती है। जिस वजह से रोगी के शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता समाप्त होने लगती है। कमजोरी लगने लगती है, शरीर में दर्द आदि होने लगती है। उन्होंने कहा कि सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर बीमारी है, जिसकी वजह से रोगी के शरीर मे एनिमिया, दर्द, संक्रमण व अन्य गंभीर जटिलताएं हो सकती है। उन्होंने कहा कि समय रहते इसका उचित इलाज व व्यापक प्रचार- प्रसार के द्वार सिकल सेल एनीमिया के दुष्प्रभाव से हम आप समाज को बचा सकते हैं। स्त्रीरोग विभाग की डॉक्टर शैली सेंगर ने गर्भवती महिलाओं में होने वाले एनीमिया हेतु विशेष एंटीनेटल क्लीनिक पर अपना चेकअप कराने की सलाह दी और आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां निरंतर खाने की सलाह दी।
इसी के साथ मेडिसिन डॉक्टर गिरीश दुबे ने बताया कि एनीमिया के लक्षण महसूस होने पर तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श तो ले ही, लेकिन खानपान का विशेष ख्याल रखने की जरूरत भी होती है। अपने आहार में आयरन एवं प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ के साथ विटामिन बी 12 शामिल करें। जिससे शरीर में खून की कमी पूरी हो सके। इससे एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं।
एनीमिया के लक्षण
- थकान या कमजोरी होना
- जीभ में सूजन
- मानसिक विकास न होना
- शरीर के तापमान को बनाए रखने में कठिनाई
इस दौरान प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष कम्युनिटी मेडिसिन डॉक्टर राजेश अहिरवार, विभागाध्यक्ष पंकज शर्मा , डॉक्टर रीतेश यादव, शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रियंका गर्ग, विभागाध्यक्ष डॉक्टर धीरेंद्र सचान,सहायक पीआरओ राहुल अष्ठाना सहित कॉलेज के समस्त वरिष्ठ सीनीयर, जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर, पैरामेडिकल स्टाफ के साथ एमबीबीएस छात्र - छात्राऐं उपस्थित हुए।
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