प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत के संकल्प को साकार करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार निरन्तर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार "स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत" के संकल्प को साकार करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि “राइट टू हेल्थ” के साथ “राइट टू स्क्रीनिंग” भी आवश्यक है। राज्य ने सिकल सेल, टीबी और अन्य बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज को प्राथमिकता दी है। राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन, टीबी मुक्त भारत अभियान, निरोगी काया अभियान में मध्यप्रदेश का उत्कृष्ट प्रदर्शन, मध्यप्रदेश की प्रतिबद्धता स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के समर्पण का परिणाम है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा है कि यह परिणाम हमें आश्वस्त करते हैं कि स्वस्थ सशक्त मध्यप्रदेश के निर्माण में हम शीघ्र सफल होंगे।
प्रदेश में निक्षय भारत अभियन के अंतर्गत 23 जिलों में 78.14 लाख नागरिकों की स्क्रीनिंग की गई, 21,992 टीबी मरीज चिन्हित हुए, 28,664 निक्षय मित्र बनाए गए और 23,818 फूड-बास्केट वितरित किये गये। अभियान में उत्कृष्ट परिणामों के लिए प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया। प्रदेश में नए बने जिलों के अतिरिक्त सभी जिलों में क्षय रोग की जांच के लिए हैंड हेल्ड एक्स-रे मशीनें उपलब्ध हैं।
सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन में 1.05 करोड़ स्क्रीनिंग हुई, 28,297 मरीजों का इलाज हुआ और 75.36 लाख कार्ड वितरित किये गये। इसके उपचार के लिए बीएमएचआरसी भोपाल और एमजीएम इंदौर में 2 सेंटर ऑफ कॉम्पिटेंस उपलब्ध हैं। साथ ही, संजय गांधी चिकित्सालय रीवा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस शुरू किया गया है।
उच्च रक्तचाप के 77.73 लाख, मधुमेह के 76.07 लाख, एनएएफएलडी के 33.94 लाख, ओरल कैंसर के 11.90 लाख, सर्वाइकल कैंसर के 3.38 लाख और स्तन कैंसर के 5.59 लाख नागरिकों की स्क्रीनिंग की गई। प्रदेश के 52 डे-केयर में 42 प्रकार की कैंसर रोधी दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
दिसंबर-2024 के पल्स पोलियो अभियान में 36 लाख बच्चों को 99% लक्ष्य के साथ पोलियो खुराक दी गई। 6 जनवरी 2025 से शुरू 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स ने अब तक 21 जिलों के 87 विकासखंडों के 1268 ग्रामों में 2.08 लाख रोगियों को सेवा दी है। अब प्रदेश में इमरेजेंसी पेसेंट्र से लिए एयर एम्बुलेंस भी उपलब्ध है। इस सेवा से अब तक 61 नागरिक लाभान्वित हुए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में चिकित्सा शिक्षा में सतत विस्तार और उन्नतिकरण हुआ है। प्रदेश में 30 मेडिकल कॉलेज है। सत्र 2024-25 में 400 नई एमबीबीएस की सीटें उपलब्ध हुई हैं। आगामी वर्ष में 6 मेडिकल कॉलेज स्थापित होंगे। साथ ही पीपीपी मोड में 12 शासकीय कॉलेज भी स्थापित किये जायेंगे। 2300 और सीटों की वृद्धि संभावित है। सुपर स्पेशियलिटी सीटें 47 से बढ़कर 64 हुईं हैं, जबकि नॉन-क्लिनिकल विषयों में 291 सीनियर रेजिडेंट पद सृजित हुए हैं। भोपाल और इंदौर मेडिकल कॉलेज एम्स की तर्ज पर उन्नत किए जा रहे हैं। प्रदेश में 13 नए नर्सिंग कॉलेज निर्माणाधीन है, शेष 27 जिलों में भी इनकी स्थापना प्रस्तावित है।
जबलपुर में बोन मेरो ट्रांसप्लांट, इंदौर में सीएआर-टी सेल थेरेपी और रक्त विकिरणक मशीन की सेवा शुरू की गई। 15वें वित्त आयोग और पीएम अभीम के तहत 271 उप स्वास्थ्य केंद्र, 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 79 ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट, 15 आईपीएचएल, 1 क्रिटिकल केयर ब्लॉक, 5 ब्लड बैंक और 2 मैटरनिटी वार्ड सहित 37 निर्माण कार्य पूर्ण किए गए। एनक्यूएएस के तहत 1977 संस्थाएँ अभिप्रमाणित, 176 लेबर रूम, 53 मेटरनिटी ओटी, 22 एसएनसीयू मुस्कान अभिप्रमाणित, 30 पैथोलॉजी लैब एनएबीएल प्रमाणित और 24 ब्लड बैंक ऑटोमेटेड हैं। प्रदेश में 10 हज़ार करोड़ के स्वास्थ्य अधोसंरचना विकास कार्य प्रगतिरत हैं। ‘हेल्थ केयर इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी-2025’ लॉन्च की जा चुकी है। नीति 2020 के अंतर्गत 120 करोड़ रूपए के 84 प्रस्ताव और नई नीति में 200 से अधिक ‘इंटेंशन टू इन्वेस्ट’ प्राप्त हो चुके हैं।
आयुष्मान भारत में अग्रणी
अब तक 4.29 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। योजना में 58 लाख लाभार्थियों को 8,757 करोड़ रूपए की सेवाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। योजना में शामिल किए जाने के बाद से 40 लाख वरिष्ठ नागरिकों के वय वंदना कार्ड बनाकर मध्यप्रदेश देश में शीर्ष स्थान पर है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य
"मातृ शिशु संजीवन मिशन" और "अनमोल 2.0" प्रारंभ किये गए हैं। प्रदेश में MMR 173 से घटकर 80, NMR को 31 से 10 और IMR को 43 से 20 तक लाने का लक्ष्य तय किया गया हैं। अनमोल 2.0 के माध्यम से शत-प्रतिशत ट्रैकिंग, गर्भवती महिलाओं को जाँच और पोषण आहार के लिए प्रेरित करना, मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति सहायता योजना और जननी सुरक्षा योजना के भुगतान को सुगम बनाया जाएगा। प्रदेश में SNCU, HDU, ICU और स्तनपान सहायता इकाइयों की स्थापना की गई है। हाई-रिस्क गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष पैकेज निजी अस्पतालों तक विस्तारित हुए हैं। मध्यप्रदेश में 30 से 65 वर्ष की 39.5 लाख महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग की गई, 12,251 को उपचार उपलब्ध कराया गया। प्रदेश में 111 लाख महिलाओं की स्तन कैंसर जाँच की जा कर अब तक 8000 मरीजों की कीमोथेरेपी कारई जा चुका है। भारत सरकार ने मध्यप्रदेश के डे-केयर सेंटर मॉडल को अपनाकर पूरे देश में लागू करने का प्रावधान किया है।
ब्लड बैंक और डायलिसिस सेवा
प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में ब्लड बैंक; 278 ब्लॉक्स में से 118 में यूनिट संचालित। साथ ही 67 ब्लॉकों में PPP मॉडल पर डायलिसिस यूनिट्स का संचालन किया जा रहा है। शेष में 2028 तक ब्लड बैंक और डायलिसिस सेवा विस्तार की योजना है।
निःशुल्क दवाएँ और जाँच सेवाएँ
प्रदेश के जिला अस्पतालों में 295 से बढ़ाकर 530 दवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। मेडिकल कॉलेजों में 267, सामुदायिक केंद्रों पर 80 तरह की जाँच सेवाएँ उपलब्ध हैं। 14 जिलों में आईपीएचएल कार्यरत है। आईपीएचएल सेवा का विस्तार भी योजनाबद्ध तरीके से किया जा जा रहा है।उज्जैन में ₹592.30 करोड़ से अटल मेडिसिटी का निर्माण कराया जा रहा है।
मानव संसाधन सुदृढ़ीकरण
वर्ष 2024-25 में 1768 रिक्त पदों (40 पीजीएमओ, 420 एमओ, 980 सीएचओ, 7 जिला कार्यक्रम प्रबंधक, 7 जिला लेख प्रबंधक, 10 जिला कम्युनिटी मोबिलाइजर, आदि) पर भर्ती की गई। 3850 नए पदों (1388 विशेषज्ञ, 1832 एमओ, 469 दंत चिकित्सक) के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से और 454 लैब टेक्निशियन, 114 रेडियोग्राफर, 10 काउंसलर, 41 फिजियोथेरेपिस्ट, 619 पैरामेडिकल स्टॉफ, 10 सहायक सांख्यिकी अधिकारी, 1260 एएनएम, और 1369 चतुर्थ श्रेणी अस्पताल सहायक पदों के लिए पीईबी के माध्यम से भर्ती की जा रही है। 313 फार्मासिस्ट ग्रेड-2, 100 नेत्र सहायक, 288 ओटी टेक्निशन (701 पद), और 2120 नर्सिंग स्टॉफ पदों के लिए नियम संशोधन प्रक्रियाधीन है। कैबिनेट द्वारा आईपीएचएस मानक अनुसार 30 हज़ार से अधिक चिकित्सकीय सहायक चिकित्सकीय पदों की भर्ती की स्वीकृति दी गयी है जो कि प्रक्रियाधीन है। यह स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदेश के हर क्षेत्र में सहज प्रदाय के लिए अहम कदम है।
मध्यप्रदेश सरकार स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध है। आयुष्मान भारत और मातृ-शिशु संजीवनी मिशन ने हाई रिस्क गर्भावस्था, कैंसर स्क्रीनिंग, डायलिसिस, रक्त सेवाओं, और चिकित्सा शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। शत-प्रतिशत मातृ और शिशु मृत्यु प्रकरणों की रिपोर्टिंग और समीक्षा, टीबी स्क्रीनिंग दर 3500 से अधिक, फॉलोअप में छूटे मरीजों को 1 प्रतिशत और मृत्यु दर को 3 प्रतिशत तक लाना, सिकल सेल रोगियों का सम्पूर्ण उपचार, 2 अतिरिक्त सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, 30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की शत प्रतिशत एनसीडी स्क्रीनिंग, और उच्च रक्तचाप-मधुमेह नियंत्रण को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य है। एनएएफएलडी के लिए आईएलबीएस के साथ एमओयू, सर्वाइकल कैंसर के लिए एचपीवी टीकाकरण, और कैंसर देखभाल के लिए उच्चतर संस्थाओं से लिंकेज प्रस्तावित हैं। सीएसआर और समुदाय से सक्रिय भागीदारी और सोशल इम्पैक्ट बॉन्ड के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को और सशक्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह समग्र दृष्टिकोण स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार करेगा और प्रदेश के हर कोने में स्वस्थ और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करेगा।
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