शिवपुरी जिले के अमोला थाना क्षेत्र की शिक्षक की पत्नी द्वारा नारई निवासी राकेश पाल (25) पर लगाए गए दुष्कर्म के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। राकेश को अमोला पुलिस ने महिला की शिकायत पर 6 जुलाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस कार्रवाई के विरोध में मंगलवार को पाल समाज ने कलेक्ट्रेट पर धरना प्रदर्शन कर पुलिस और संबंधित लोगों पर गंभीर आरोप लगाए।
पाल समाज के लोगों का आरोप है कि राकेश पाल को एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उनका कहना है कि राकेश के पिता के नाम नारई गांव में पांच बीघा जमीन दर्ज थी। इस जमीन पर उक्त महिला के शिक्षक पति और लोधी समाज के कुछ सहयोगियों की नजर थी। आरोप है कि इसी जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से साजिश रची गई और महिला से झूठा दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया गया।
थाना प्रभारी पर सहयोग का आरोप -
पाल समाज ने अमोला थाना प्रभारी अंशुल गुप्ता पर भी गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि इस पूरे षड्यंत्र को अंजाम देने में थाना प्रभारी ने सहयोग किया। झूठा केस दर्ज कराने के बाद पुलिस की मौजूदगी में जमीन पर कब्जा भी कर लिया गया।
धरने के बाद प्रशासन हरकत में आया -
धरने के दौरान पाल समाज ने थाना प्रभारी अंशुल गुप्ता को हटाने, मामले की निष्पक्ष जांच कराने और कब्जाई गई जमीन को मुक्त करने की मांग की। प्रदर्शन की सूचना मिलते ही कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने तत्काल राजस्व अमले को नारई भेजा। टीम ने मौके पर पहुंचकर जब जमीन की जांच की तो वह वन भूमि निकली। इस पर टीम ने जमीन का पंचनामा बनाकर कब्जे की स्थिति दर्ज की।
अब जांच पर टिकी निगाहें -
प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि झूठे केस में जेल भेजे गए राकेश पाल को न्याय मिले और जिन लोगों ने जमीन कब्जाई है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। साथ ही थाना प्रभारी की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच कराई जाए। प्रशासन ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है।
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