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मध्य प्रदेश: नाव में सवार होकर ग्रामीणों की सुध लेने पहुंचे कलेक्टर, एसपी

नीमच। मनासा तहसील के गांव ढाणी की पुलिया टूटने से गांव का आसपास के कई गांवों और शहरों से सम्पर्क टूटे तीन दिन बीत जाने के बाद रविवार को नाव पर सवार होकर कलेक्टर, एसपी ग्रामीणों की सुध लेने पहुंचे। ऐसे में एक के बाद एक ग्रामीणों ने उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया। देर से ही सही, लेकिन जब प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों की सुध लेने पहुंचे तो उन्होंने राहत की सांस ली, क्योंकि वे पिछले तीन दिनों से दैनिक उपयोग की वस्तुओं से लेकर कई छोटी बड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे।
मनासा तहसील के गांव मेरियाखेड़ी और ढाणी के बीच स्थित पुलिया जोरदार बारिश के कारण आई बाढ़ से टूट गई। पुलिया टूटते ही ढाणी गांव का अन्य गांवों से सम्पर्क टूट गया, जिस दौरान पुलिया टूटी उस समय जो लोग पुलिया के उधर थे वे उधर ही रह गए, ओर जो इधर थे वह इधर ही रह गए, पुलिया पार करने का अन्य कोई रास्ता नहीं होने से ग्रामीण आटे दाल के लिए भी मोहताज हो गए थे। इसके बावजूद भी पिछले तीन दिनों से कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी इन ग्रामीणें की सुध लेने नहीं पहुंचा। इस मामले को जब पत्रिका ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, तो कलेक्टर, एसपी मय प्रशासनिक अमले के ग्रामीणों की सुध लेने नाव में सवार होकर गांव ढाणी पहुंचे।
गांधी सागर के पानी से चारों तरफ से घिरे गांव ढाणी का नजारा एक टापू के समान हो गया था। जहां आवाजाही करना किसी के लिए चुनौती से कम नहीं था, ऐसे में गांव में बीमार होने वाले लोगों को भी उपचार के लिए गांव से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में जब रविवार को कलेक्टर, एसपी नाव में सवार होकर ढाणी के ग्रामीणों के बीच पहुंचे। तो ग्रामीणों ने कलेक्टर को बारिश के दिनों में वर्षों से आ रही समस्या से अवगत करवाया। ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिवर्ष भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। क्योंकि बारिश के दिनों में मेरियाखेड़ी से ढाणी का एक मात्र रास्ता भी जवाब दे जाता है।
पिछले कई वर्षों से रास्ते पर बने बांध की पुलिया टूटने पर गांव का अन्य गांवों से संपर्क कट जाता हैं। कलेक्टर अजय गंगवार ने जनसहयोग एवं पंचायत के सहयोग से टूटी हुई पुलिया पर वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के निर्देश उपस्थित अधिकारियों को दिए। साथ ही वैकल्पिक रास्ता तैयार होने तक रामपुरा से दो बोट एवं 10 लाईफ जेकेट लोगों की सुरक्षा एवं आवाजाही को लिए व्यवस्था की, जिसकी सुविधा के लिए भी कर्मचारी तैनात रहेंगे। इस दौरान एसपी राकेश सगर, मनासा एसडीएम अरविंद महोर, नायब तहसीलदार गिरीश सुर्यवंशी, कुकड़ेश्वर नायब तहसीदार रश्मि ध़ुवे्र सहित सरपंच, सचिव, सहायक सचिव एवं बड़ी संख्या में गांव ढाणी एवं मेरियाखेडी के ग्रामीण उपस्थित थे।
2 करोड 94 लाख हुए थे स्वीकृत, कलेक्टर ने एसडीएम से मांगी रिपोर्ट
गांव ढाणी में सड़क की समस्या के स्थाई समाधान को लेकर वर्ष 2017 में 2 करोड 94 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। जिसमें नलवा, कुंडला रोड साम्याखेडी फंंटे से ढाणी तक तीन किलोमीटर सड़क के लिए शासन से राशि स्वीकृत हुई थी। लेकिन विधानसभा चुनाव एवं पीडब्ल्यूडी विभाग की लापरवाही के चलते सड़क का टेंडर नहीं होने से कार्य ठंडे बस्ते में चला गया। जिसको लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को अवगत कराया। कलेक्टर ने मनासा एसडीएम को सोमवार को होने वाली बैठक में सड़क को लेकर संपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

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