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धूमधाम से मनाया गया गोपाष्टमी का पर्व


*श्री शिवरीनारायण मठ एवं श्री दूधाधारी मठ से संबंधित सभी अट्ठारह गौशालाओं में गौ माताओं की की गई पूजा अर्चना*

*गोवंश की वृद्धि हेतु पूजन का पर्व है गोपाष्टमी*

श्री शिवरीनारायण मठ एवं श्री दूधाधारी मठ से संबंधित सभी अट्ठारह गौशालाओं में गोपाष्टमी का पर्व श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया इस अवसर पर शिवरीनारायण मठ में संचालित गौशाला में राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज विशेष रूप से उपस्थित थे विदित हो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी को प्रत्येक वर्ष गोवंश की वृद्धि के लिए संपूर्ण सनातन धर्मावलंबियों के द्वारा गोपाष्टमी का पर्व श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया जाता है इसी तारतम्य में श्री शिवरीनारायण मठ एवं श्री दूधाधारी मठ से संबंधित सभी अट्ठारह गौशालाओं में गोपाष्टमी का पर्व श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया गया शिवरीनारायण मठ में राजेश्री महन्त जी महाराज ने मुख्तियार श्री सुखराम दास जी, श्री त्यागी जी महाराज, ज्ञान दास जी नागा एवं सभी संत महात्माओं, मठ मंदिर के विद्यार्थियों, कर्मचारियों सहित गौ माताओं का पूजन कर उन्हें फल एवं मिष्ठान का भोग लगाकर खिलाया,गौमाताओं को तिलक लगाकर माल्या हार से सम्मानित किया गया, उनकी विधिवत आरती की गई इस संदर्भ में अपने संदेश में राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि संपूर्ण सनातन धर्मावलंबियों में गौवंश की वृद्धि के लिए गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है भगवान श्री हरि ने कृष्णावतार में गौ वंश की वृद्धि एवं संरक्षण का संदेश संपूर्ण जगत को प्रदान किया, दीपावली के दूसरे दिन उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली में उठाकर ब्रज वासियों की इंद्र की महावृष्टि से रक्षा की तब वे गिरधारी कहलाए कार्तिक शुक्ल अष्टमी को उन्होंने माता यशोदा से आज्ञा लेकर गौ चराना प्रारंभ किया तब उनका नाम गोपाल हुआ उनका प्यारा नाम गोविंद है । गौ माता के प्रत्येक अंगों में समस्त देवताओं का वास होता है ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों का मानना है। गोपाष्टमी के दिन गौ माता को जल से नहला कर उन्हें तिलक चंदन लगाकर विधिवत पूजन करना चाहिए उन्हें फल, मिष्ठान, अन्ना का भोग लगाना चाहिए इससे मनुष्य को धन-धान्य सुख संपत्ति एवं पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान श्री नारायण का अवतार विभिन्न युगों में गौमाता की संरक्षण के लिए ही होता है ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों का मानना है रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है *विप्र धेनु सुर संत हित, लीन मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु, श्रीमाया गुण गोपार।।* यहां यह उल्लेखनीय है कि श्री शिवरीनारायण मठ एवं श्री दूधाधारी मठ के द्वारा ग्राम तुस्मा, देवसुंदरा, ओड़ान, वटगन, घोठिया, छेरकापुर सहित अट्ठारह स्थानों पर अलग-अलग गौशाला संचालित है जहां प्रत्येक गौशाला में दो सौ से लेकर दो हजार की संख्या में गौ माताएं निवासरत है इनका संपूर्ण संचालन, देखरेख मठ मंदिर प्रशासन के द्वारा ही किया जाता है इतनी बड़ी तादाद में गौवंश के लिए प्रशासन से किसी भी तरह का अनुदान मठ मंदिर के द्वारा नहीं लिया जाता यहां संपूर्ण कार्य गौ वंश की सेवा तथा इनके संवर्धन की दृष्टि से की जाती है।

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