भोपाल। राज्यपाल लालजी टंडन ने डेढ़ माह पहले प्रदेश के एक मात्र हिन्दी विश्वविद्यालय को विशेष विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने का एलान किया था, लेकिन इसका पालन नहीं हो पाया। अब सरकार इस विश्वविद्यालय के गठन के उद्देश्य, पुर्नसंरचना के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। यानी यह रिपोर्ट इस विश्वविद्यालय का भविष्य तय करेगी।
राज्य सरकार ने पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम की अध्यक्षता में 25 नवम्बर को उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति को जिम्मेदारी दी गई थी कि वह यह देखे कि विश्वविद्यालय जिन उद्देश्यों के लिए गठित किया गया था, वह इसमें कितना सफल है। इन उद्देश्यों को पूरा करने में कहां कमी रह गई है।
कमेटी से एक पखवाड़े में रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन एक माह बाद भी कमेटी राज्य सरकार को रिपोर्ट नहीं सौंप पाई है। इसको लेकर विश्वविद्यालय में असमंजस की स्थिति है। नियमित प्राध्यापकों के अभाव में विश्वविद्यालय अतिथि प्राध्यापकों के भरोसे पहले से था। अब सरकार ने यहां के रजिस्ट्रार बी भारती को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय पदस्थ कर दिया। इससे यहां रजिस्ट्रार का पद भी रिक्त हो गया है।
हिन्दी में तैयार होना थे पाठ्यक्रम -
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम से स्थापित इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही यही था कि यहां सभी पाठ्यक्रम हिन्दी में होंगे। यहां तक इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम भी हिन्दी में तैयार होना था। शुरूआत में इसके लिए प्रयास हुए। कुछ पाठ्यक्रम भी तैयार हुए लेकिन आर्थिक तंगी के कारण विश्वविद्यालय इसे नियमित नहीं कर सका। राज्य सरकार की ओर से भी अनुदान मिलना कम हो गया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम से स्थापित इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही यही था कि यहां सभी पाठ्यक्रम हिन्दी में होंगे। यहां तक इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम भी हिन्दी में तैयार होना था। शुरूआत में इसके लिए प्रयास हुए। कुछ पाठ्यक्रम भी तैयार हुए लेकिन आर्थिक तंगी के कारण विश्वविद्यालय इसे नियमित नहीं कर सका। राज्य सरकार की ओर से भी अनुदान मिलना कम हो गया।
हिन्दी विश्वविद्यालय के मामले में अभी सरकार की किसी भी कमेटी की रिपोर्ट राजभवन को नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।
- मनोहर दुबे, सचिव राज्यपाल
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