*जितेन्द्र तिवारी & एकांश पटेल.... खबर ए प्रेस क्लब बिर्रा*
तथाकथित कथा वाचक, वाचिकाये जो आज ब्यास मंच की गरिमा को खो चुके हैं अपने ही धर्म पुराण का मजाक बना रहे हैं ऐसे दुस्टो कि कड़े शब्दों में महाराज जी ने निंदा की
आज हिंदु धर्म पे कोई भी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कोई कुछ भी बोल देता है
सबसे पहले हमें स्वयं सुधरना होगा
धर्म की रक्षा हम सभी को स्वयं में बदलाव लाके करने की आवश्यकता है
एक वायरल वीडियो जिसमे एक कथा वाचिका ब्यास मंच में खड़ी होके डांस कर रही इसका विरोध महाराज श्री ने किया
बहुत ही निंदनीय
ये ब्यास पीठ को डांस बार बना रखी हैं।
इतना ही नृत्य करने का शौक है तो ब्यास पीठ के नीचे आके नृत्य कर लेती।।
आज कई लड़कियां मासिक धर्म मे भी कथा कर रही
भगवान से डरो पैसा कमाने के चक्कर मे कुछ भी।।।।।
थू है ऐसे पापियों पे।।।।
और जो पापी इनका समर्थन कर रहे उनको पँ दीपककृष्ण महाराज का खुला चैलेंज हैं।।
हमसे इस मैटर में बात करे।
हमारा no 9165452434,
ब्यास पीठ कोई साधारण जगह नही वो बैकुंठ कहा गया है और जो भी ब्यास आसीन रहते हैं वो विष्णु के स्वरूप कहे गए हैं।।
ब्यास पीठ की मर्यादा बनाये रखे
अपनी दुकानदारी चलाने के चक्कर मे कुछ भी निंदनीय कृत्य न करे।।
*पँ दीपककृष्ण महाराज जी की कथा की कुछ पंक्तिया*
*ध्यान रखे बंधुओं मैं हमेशा हर कथा
में कहा करता हु मुझमें सामर्थ नहीं मैं कथा आपको सुना सकू वक्ता केवल बाँसुरी बन कर व्यास पीठ पर बैठता है बाकी उस बाँसुरी की फूंक मारने वाले
भी मेरे बाँकेबिहारी आते हैं *ब्यासाय विष्णु रूपाये* हमारी क्या औकात हम उसकी कथा गा सकें की सुन सकें ध्यान रखना सुनाने वाले भी
बाँकेबिहारी है सुनवाने वाले भी बाँकेबिहारी है
करने और कराने वाले केवल प्रभु है
अपितु ये जानते हुए भी आज के मानव अहंकार का त्याग नही करते
मेरा घर, मेरा परिवार, मेरा रूपिया, पैसा, इन्ही सब मे फसा रह जाते है
आज का इंसान
लेकिन इन सबको छोड़ के जाना है कोई साथ जाने वाला नही अकेले आये हैं अकेले जाऍंगे
अगर साथ जाएगा तो सिर्फ मेरे प्रभु का नाम
सिर्फ भगवान ही हमारे है और हम भगवान के है
वास्तव में यही मानव जीवन का सार है।
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