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अपराध या हड़ताल के लिए उकसाने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है, यहां पढ़िए |



 
हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे भी है, जो लोगों को बहला- फुसलाकर किसी भी व्यक्ति से कई तरह के अपराध को अंजाम दिलवाते है। वास्तव में अपराध के पीछे किसी ओर का हाथ होता हैं। सामान्य भाषा में हम टीवी, न्यूज पेपर आदि में सुनते हैं, पुलिस को मुख्य आरोपी की तलाश है। मुख्य आरोपी वही होता हैं जो किसी व्यक्ति को दुष्प्रेरित करता है। 

यदि हत्या के लिए उकसाता है परंतु हत्या नहीं होती तब 


यदि हत्या के लिए उकसाता है, हत्या नहीं होती परंतु घायल हो जाता है


किसी भी प्रकार के अपराध के लिए उकसाता है परंतु अपराध नहीं होता

भारतीय दंड संहिता, 1860 धारा 116 के तहत किसी भी कारावास से दण्डिनीय अपराध को न किया जाना। अगर कोई व्यक्ति किसी भी अपराध को करने के लिए दुष्प्रेरित करता है, मगर उस अपराध को संबंधित व्यक्ति नहीं करता है, तब उकसाने वाले व्यक्ति को उस अपराध की सजा जो भी हो का एक चौथाई भाग का दंड मिलेगा या जुर्माने या दोंनो से दण्डित किया जाएगा।

यदि सरकारी कर्मचारी किसी को अपराध के लिए भड़काए

2. अगर यहां पर किसी लोक-सेवक (सरकारी कर्मचारी)  द्वारा किसी अपराध को करने के लिए उकसाया जा रहा हैं,और किसी व्यक्ति द्वारा वह अपराध नहीं किया जाए, तब लोक-सेवक को उस अपराध की सजा जो भी है, उसकी आधे कारावास से या उतने ही जुर्माने से या दोंनो से दण्डित किया जायेगा। परन्तु लोक- सेवक का कर्तव्य वहा यह होना चाहिए कि वह संबंधित अपराध को रोकता हो।


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