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ग्वालियर। कोरोना संक्रमण के चलते शहर में बीते साठ दिनों में यह बात साफ हो गई है कि जहां लॉकडाउन के पहले शहर के नर्सिंगहोम में प्रसूताओं की डिलेवरी शतप्रतिशत ऑपरेशन से होती थी। लेकिन बीते साठ दिनों में सरकारी अस्पतालों में हुई प्रसूताओं की 80 फीसदी डिलेवरी नार्मल हुई है।
ऐसे में स्पष्ट है कि निजी नर्सिंग होमों में सिर्फ डिलेवरी के नाम प्रसूताओं के परिवारों को लूटा जा रहा था। कोरोना संकट काल में गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होने पर डिलेवरी कराने के लिए सरकारी अस्पताल ही लॉकडाउन के कारण सहारा बने हैं। अभी तक जिले के सरकारी व एक दर्जन निजी नर्सिंगहोम में लॉकडाउन के दौरान 1868 नवजातों ने दुनिया में क दम रखा है।
देश की तरह ग्वालियर में भी चौबीस मार्च से लगातार लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन में गर्भवती प्रसूताओं को सुरक्षित प्रसव कराना भी मुश्किल साबित हो रहा है। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के चलते शहर व जिले के अन्य कस्बों में संचालित होने वाले सत्तर फीसदी नर्सिंगहोम कोरोना संक्रमण से बचाव के चलते अपनी सेवाएं नहीं दे रहे हैं। ऐसे में शहर के साथ ही जिले के चारों ब्लॉकों में संचालित हो रहे सरकारी प्रसूति गृह के साथ ही शहर के सरकारी अस्पताल डिलेवरी से संबंधित सभी सुविधाएं चौबीस घंटे गर्भवती प्रसूताओं को उपलब्ध करा रहे हैं।
तीन दर्जन सरकारी प्रसूति गृहों में हुई डिलेवरी
सीएमएचओ कार्यालय से मिले प्रसव आंकड़ों के अनुसार 24 मार्च से 20 मई के बीच कमलराजा, मुरार जच्चाखाना, बिरलानगर, लक्ष्मीगंज, पिछाड़ी ड्योढ़ी प्रसूतिगृह सहित कुल 26 डिलेवरी प्वाइंट शामिल हंै, इस लॉकडाउन के दौरान सरकारी अस्प्तालों में अभी तक कुल 1473 नार्मल डिलेवरी व 291 की डिलेवरी ऑपरेशन से कराई गई है वहीं इसी पीरियड में निजी नर्सिंगहोम में केवल 104 प्रसूताओं की ही डिलेवरी कराई जा सकी है। निजी नर्सिंगहोम में हुए प्रसव में कितने ऑपरेशन से हुए हैं इसका आंकड़ा सीएमएचओ कार्यालय पर उपलब्ध नहीं है।
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