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पूर्व चयनित दिव्यांग सहायक प्रध्यापक के पक्ष में दिनांक 29-4-2020 को आया जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश था। मध्यप्रदेश शासन को एक माह मे नियुक्ति देने के आदेश दिया था परन्तु एक माह बाद अभी तक दिव्यांगों को नियुक्ति का इंतजार करना पड रहा है। जबकि केन्द्र में मोदी सरकार समय समय पर दिव्यांगो के पदों को भरने के लिए अधिसूचना भी लाती रही है परन्तु इसका सही तरीके से पालन नही हो रहा है।
अब केन्द्र और मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकारे हैं। पूर्व चयनित दिव्यांगो ने इससे पूर्व में चयन से बाहर होने के तुरंत बाद तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी जी से मुलाकात की थी तब उनका कहना था कि हाईकोर्ट के आदेश पर हम नियुक्ति देने को तैयार हैं ऐसे में अब ये देखना होगा कि शिवराज सरकार दिव्यांगो के प्रति कितनी संवेदनशील है और कितनी जल्दी नियुक्ति देती है जो एक वर्ष से मानसिक ,सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।
सीनियर एडवोकेट एस.के.रूगटा ने पूर्व चयनित दिव्यांगो के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में केविएट नं 3006/2020 भी लगा दी है ताकि दिव्यांगो के साथ किसी भी तरह का अन्याय न हो। जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार को एक माह मे कुल केडर इस्टैंन्थ का 6% आरक्षण दिव्यांग अभ्यर्थियों को देने का आदेश दिया है, यानि, हिंदी विषय में 2011 की गजट अधिसूचना में सहायक प्रध्यापक के 586 पद थे और 12-4-2018 के सहायक प्रध्यापक परीक्षा-2017 के विज्ञापन में नवीन सृजित 114 रिक्तियां थीं, जो कुल योग बनता है 700 पद जिसपर 6% आरक्षण 42 पद दिव्यांग अभ्यर्थियों दिये जाने चाहिए।
इसी तरह अन्य सभी विषयों की गणना की जायेगी। ये पूर्व चयनित दिव्यांग पहले भी शिवराज सिंह चौहान जी (मुख्यमंत्री नहीं थे) से मिले थे तब उन्होंने कहा था कि अभी उनकी सरकार नही है नही तो वो उनकी सहायता करते और उनके साथ अन्याय नहीं होने देते। अब दिव्यांगो को शिवराज सरकार से जल्दी नियुक्ति की आस है।
मुख्यमंत्री जी, कृपया केन्द्र मे मोदी सरकार की तरह दिव्यांगो के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए जल्दी नियुक्ति देने कृपा करे। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के साथ मध्यप्रदेश की मुझ जैसी पूर्व चयनित दिव्यांग बेटीयों को रोजगार देने की कृपा करें। धन्यवाद
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