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संतान के लिए माताओं ने पूरे रीतिरिवाज के साथ मनाया छत्तीसगढ़ का लोकपर्व हलषष्ठी (कमरछठ)

 

बिर्रा-छत्तीसगढ़ का लोकपर्व हलषष्ठी (कमरछठ) यह पर्व माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला पर्व माताओ ने पूरे रीतिरिवाज के साथ मनाया । छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहुत ही सद्भाव से मनाया जाता है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी कहा जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। संतान प्राप्ति व उनके दीर्घायू सुखमय जीवन की कामना रखकर माताएँ इस व्रत को रखती है।पूजा-अर्चना में बिना हल जोते उगने वाले पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाने का खासा महत्व है। ऐसा ही बिर्रा,देवरानी,सिलादेही,सहित आस-पास की माताएं व्रत रखी थी।इस अवसर पर जनपद पंचायत सदस्य श्रीमती मोहन कुमारी (मीनू)साहू,सुनीता,सविता,सेवती,छवी,मीना साहू ,रथबाई ,नानीबाई ,चीतकुमारी , हीरा बाई पुष्पा साहू उतरी साहू सीता साहू ,रेशमा राजकुमारी छेड़नी बाई साहू सहित ग्रामीण उपस्थित थे।*

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