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बच्ची की मौत के बाद अधिकारियों ने परिजनों को समझाकर बेटे को एनआरसी में कराया भर्ती, मां बोली - बच्चे को नहीं मिल रहा बेहतर इलाज



शिवपुरी  कोलारस निवासी एक मजदूर परिवार की एक साल की मासूम बच्ची की झाड़-फूंक के फेर और इलाज के अभाव में मौत हो गई। बच्ची के माता-पिता उसे अस्पताल से वापस लौटा लाए थे। बच्ची की मौत की जानकारी लगते ही सोमवार काे महिला बाल विकास के अधिकारी मजदूर के घर पहुंचे और उसे समझाइश देकर कुपोषित बेटे को इलाज के लिए एनआरसी में भर्ती कराया है। बच्चे की मां का आरोप है कि उसके बच्चे को अभी भी बेहतर उपचार नहीं दिया जा रहा है।

मजदूरी के अभाव में किया था पलायन
शिवपुरी में रोजगार के अभाव कोलारस के वार्ड क्रमांक - 3 में निवासरत चंद्रपाल आदिवासी स्थानीय स्तर पर मजदूरी के अभाव में अपने परिवार के साथ मजदूरी करने महुरानीपुर गया था। वहां उसकी बेटी लक्ष्मी व बीटा कान्हा बीमार हो गया। मजदूरी से लौटने के बाद पहले तो लक्ष्मी के परिजन झाड़फूंक और ओझाओं के फेर में पड़े रहे, जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई। बच्ची की हालत ज्यादा बिगड़ी तो वह उसे कोलारस अस्पताल ले गए।

बच्ची के परिजनों के अनुसार पहले तो वहां इलाज में लापरवाही बरती गई और बाद में उसे शिवपुरी रैफर कर दिया गया। शिवपुरी में भी बच्ची की स्थिति को देखते हुए उसे ग्वालियर रैफर कर दिया गया। परिजन लगातार रैफर प्रक्रिया से खिन्न होकर लक्ष्मी को वापस अपने घर ले गए, जहां रविवार को बच्ची ने दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत की खबर मिलते ही जिमेदार हरकत में आ गए और चंद्रपाल के घर पहुंच कर उसके दूसरे कुपोषित बेटे कान्हा को एनआरसी में भर्ती करवाया।

पांच हजार की मदद
मासूम लक्ष्मी की मौत के बाद स्थानीय प्रशासन ने पांच हजार की सहायता राशि प्रदान की है। डीपीओ देवेंद्र सुन्दरियाल का कहना है कि चंद्रपाल आदिवासी के बच्चों की तबीयत मजदूरी के लिए बाहर जाने पर बिगड़ी है। वहां से लौट कर वह बच्चों का इलाज कराने की बजाय झाड़फूंक कराते रहे। इस दौरान तबीयत और अधिक बिगड़ गई और यही बच्ची की मौत की वजह बनी। आज दूसरे बेटे को इलाज के लिए एनआरसी में भर्ती करवाया है।

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