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भर्ती प्रक्रिया को कभी भी चुनौती नहीं दी जा सकती, चाहे वह शिकायत कितनी भी वास्तविक हो: सुप्रीम कोर्ट

 


सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने विगत 2 दिसंबर, 2008 के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सिविल अपील पर विचार करते हुये आक्षेपित निर्णय में हाईकोर्ट ने उनके ओए को खारिज करने के ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा था जिसमें उन्होंने उप-सहायक अभियंता (सिविल) के पद पर नियुक्ति के संबंध में पुलिस सत्यापन रिपोर्ट को छोड़ने के लिए निर्देश मांगा था। पीठ ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में, एक उम्मीदवार को किसी भी समय उपाय के लिए संपर्क करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, भले ही शिकायत कितनी भी वास्तविक हो क्योंकि भर्ती की प्रक्रिया को बंद करना होगा। 
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "हमारे विचार में, भर्ती प्रक्रिया में, एक उम्मीदवार को किसी भी समय उपाय के लिए संपर्क करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, भले ही शिकायत कितनी भी वास्तविक हो, क्योंकि भर्ती की प्रक्रिया को बंद करना होगा। वर्तमान में 1999 के इस विज्ञापन में, अपीलकर्ता को यह दलील देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि वह एक नियुक्ति पत्र प्राप्त करने के लिए सात वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा था और फिर राज्य प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के समक्ष ओए दाखिल करने के लिए आगे बढ़ा। यह स्वयं अपीलकर्ता के गैर-वाद का आधार है।"
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