मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर अक्सर अपनी सरकार और अपने सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन करके सुर्खियों में आ जाते हैं। उखड़ी हुई सड़क पर पैदल चलकर लक्ष्मण तलैया इलाके में उन्होंने जो प्रदर्शन किया है। यह सरकार के खिलाफ किया गया प्रदर्शन है। जब सिस्टम में सुनवाई नहीं होती। जनप्रतिनिधि लाचार हो जाता है। तब इस तरह के प्रदर्शन करता है। प्रद्युम्न सिंह तोमर, सत्ताधारी दल के नेता हैं। ना केवल विधायक हैं बल्कि मंत्री भी हैं।
अपनी विधानसभा क्षेत्र में सड़कें बनवाना उनकी जिम्मेदारी है। इसी बात के लिए वोट दिया गया है और इसी बात के लिए सरकारी सुविधाएं दी जा रही हैं। यदि वह अपनी ही सरकार के सिस्टम से संतुष्ट नहीं है तो सबसे पहले उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। मंत्री भी रहेंगे और अपनी सरकार के खिलाफ गांधीगिरी (विरोध प्रदर्शन) भी करेंगे। बड़ी अजीब बात है।
इस प्रदर्शन के निम्न अर्थ निकलते हैं:-
एक मंत्री, लापरवाह ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट नहीं करवा पा रहा है।
एक मंत्री, अपनी सरकार में सिस्टम नहीं सुधार पा रहा है।
एक मंत्री, अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है।
एक मंत्री, अपनी सीट बचाने के लिए अपनी सरकार को बदनाम कर रहा है।
जनता सिस्टम को सुधारने के लिए विधायक बनाती है, नंगे पैर पदयात्रा तो कोई भी कर सकता है। अपने पद से इस्तीफा देकर और सभी सरकारी सुविधाओं का त्याग करके नंगे पैर प्रदर्शन करेंगे तो निश्चित रूप से बुद्धिजीवी वर्ग भी इसका समर्थन करेगा।
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