पुराने दिनारा में रहने वाली छात्रा खुशी पाल ने घर पर बनाई मिट्टी की गणेश प्रतिमा
दिनारा कस्बे के ग्राम पुराने दिनारा की रहने वाली 10 वी कि छात्रा ने कहां गणेश चतुर्थी के त्योहार का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। हर साल गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाई जाती है। यह त्योहार पूरे 8 दिन चलता है व अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन नदियों तालाबों में कर दिया जाता है।
mitti ki murti
खुशी ने बनाई मिट्टी की गणेश प्रतिमा
ख़ुशी ने बताया हमने अपने हिसाब से सर्च कर मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण किया है। मूर्ति का स्वरूप उन्होंने विभिन्न प्रकार के फोटो को देखकर चयन किया। श्रीगणेश बुद्धि के देवता भी है। हमने उनसे प्रार्थना की हमारी बुद्धि पढ़ाई में लगाए। छात्रा ने बहुत ही सुंदर सुंदर गणेश प्रतिमाओ का निर्माण किया अब इन श्रीजी का वह अपने अपने घर में गणेश चतुर्थी को स्थापित करे पूरे 8 दिन तक पूजा अर्चना करेगें। प्राकृतिक जल संरचनाओं को दूषित होने से रोका और लोगों में छात्रा ने लोगों को जागरूकता का संदेश दिया।
पीओपी की मूर्तियां जल संसाधनों को दूषित करती है।
पीओपी यानी प्लास्टर और पेरिस की मूर्तियां जिप्सम व चूना व सीमेंट से बनाई जाती है जो कि देखने में आर्कषण होने के साथ ही बाजारों में कम दामों में बेची जाती है लेकिन जब उन्हें विसर्जित किया जाता है। तो वह पानी में घुल नहीं पाती जो कि प्रकृति के लिए घातक साबित होता है वहीं इको फ्रेंडली मूर्तियां आसानी से पानी में घुल जाती है।
इको फ्रेंडली मूर्तियां पानी में जल्दी घुल जाती है। पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने के लिए प्लास्टर और पेरिस के स्थान पर हम इको फ्रेंडली यानी मिट्टी के गणपति बना कर प्रकृति का संतुलन बनाए रख सकते है। क्योंकि यह आसानी से पानी में बिना किसी प्रदूषण के घुल जाती है।
कच्चे रंगों का प्रयोग व कागज व पुट्ठे से बनकर तैयार होने वाली इको फ्रेंडली मूर्तियों से पानी में प्रदूषण का खतरा तो कम होता ही है। साथ ही हल्की होने के कारण इन्हें आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है व मूर्ति टूटने या खंडित होने का खतरा भी कम रहता है।
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