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MP News in Hindi : शिवपुरी जिले के संदीप शर्मा ने 11 लाख का ईनाम निकला इंतिजा मुफ्ती पर

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 पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती बेटी इंतिजा मुफ्ती पर 11 लाख का ईनाम रखा शिवपुरी जिले के ग्राम बामरा के संदीप शर्मा ने
मिली जानकारी अनुसार हम आपको बता दें कि 
हाल ही में शिवपुरी के एक युवक, जिसने फेसबुक पर संदीप बमरा के नाम से एक आईडी बनाई है, ने महबूबा मुफ्ती की बेटी इंतिजा मुफ्ती को लेकर एक अत्यधिक आक्रोशित और विवादास्पद पोस्ट डाली। इस पोस्ट में युवक ने इंतिजा मुफ्ती के हिंदू धर्म के प्रति कथित अपमानजनक बयान का विरोध करते हुए, उसे नुकसान पहुंचाने पर इनाम की घोषणा की।

जिस पार धमकी भरी पोस्ट डाली गई है बह नीचे है

फेसबुक लिंक >       https://www.facebook.com/profile.php?id=100093562715066&mibextid=ZbWKwL

इंतिजा मुफ्ती और हिंदू समाज में आक्रोश

इंतिजा मुफ्ती, जो कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी हैं, पर हिंदू धर्म के खिलाफ बयानबाजी का आरोप है। उनके कथित बयान ने हिंदू समाज के बीच आक्रोश फैलाया है। यह गुस्सा स्वाभाविक है, क्योंकि कोई भी समाज अपने धर्म, परंपरा, और आस्थाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। हिंदुत्व की भावना से प्रेरित होकर इस प्रकार के बयानों का विरोध करना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है।

युवक का समर्पण और सामाजिक मर्यादा

संदीप बमरा का हिंदुत्व के प्रति समर्पण उनकी इस पोस्ट से साफ झलकता है। उन्होंने अपने धर्म और आस्था के अपमान के खिलाफ आवाज उठाई। हालांकि, उनका तरीका कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से अनुचित है। ऐसी पोस्ट न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से मुसीबत में डाल सकती है, बल्कि इससे समाज में हिंसा और उग्रता को बढ़ावा मिलने का खतरा भी रहता है।

संविधान और कानून का पालन आवश्यक

भारत का संविधान हमें अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता मर्यादा और कानून के दायरे में होती है। किसी के खिलाफ हिंसा को उकसाना या इनाम की घोषणा करना, कानूनन अपराध है। ऐसे कृत्य से समाज में अशांति और अस्थिरता बढ़ती है। संदीप बमरा को यह समझने की आवश्यकता है कि उनके इस कदम से हिंदू धर्म की गरिमा को ठेस पहुंच सकती है, क्योंकि हिंदू धर्म हमेशा सहिष्णुता और शांति का प्रतीक रहा है।

भविष्य के लिए सीख

संदीप बमरा जैसे युवाओं को अपने आक्रोश को सही दिशा में ले जाना चाहिए। हिंदुत्व की रक्षा केवल हिंसक विचारों से नहीं, बल्कि अपने धर्म के प्रति जागरूकता फैलाकर, शास्त्रों के अध्ययन से, और समाज में धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देकर ही की जा सकती है।

उन्हें सलाह है कि आगे से ऐसा कदम न उठाएं जिससे उनकी व्यक्तिगत छवि या हिंदू समाज की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे। इसके बजाय, वे कानूनी और सामाजिक तरीकों से ऐसे मुद्दों का विरोध करें। यह हिंदुत्व की सच्ची सेवा होगी।

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