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SHIVPURI NEWS : महिला सशक्तिकरण की मिसाल रेखा ने ड्रोन दीदी के रूप में बनाई पहचान



 आसमान में उडती ड्रोन की उूंचाईयों से कहीं ज्यादा ड्रोन उड़ाने वाली पायलट ड्रोन दीदी का आत्‍मविश्‍वास है। घूंघट की आढ़ में चूल्‍हे पर खाना पकाने वाली शिवपुरी जिले के गांव लुकवासा की रहने वाली रेखा ओझा आज खेतों में खड़े होकर उंगलियों के इशारों पर ड्रोन की उडान भरती हैं जो कभी साइकिल चलाना भी नहीं जानती थीं, वो कभी ऐसे ड्रोन उडाएंगी उन्‍होंने सपने में भी कभी नहीं सोचा होगा। उनकी इस काबिलियत ने उन्हें आसमान की सात बुलंदियों पर पहुंचा दिया।मध्‍य प्रदेश डे राज्‍य ग्रामीण आीविका मिशन के तहत रेखा ने ड्रोन उडाने की ट्रेनिंग ली, ड्रोन से खेतों में दवाई का छिडकाव करती हैं इससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। रेखा सिद्धबाबा महिला स्‍व सहायता समूह से जुड़ी थी। जब ड्रोन दीदी के रूप में उनका चयन किया गया। तब बड़ा संकोच था कि क्या मैं यह कर पाऊंगी। लेकिन रेखा की लगन और जज्बे ने उन्हें आगे बढ़ाया।समूह में जुड़ने के बाद उन्‍होंने अपने बेटे के साथ स्‍कूल जाकर 10वीं की पढ़ाई पूरी की। अब उन्‍हें पूरे गांव में ड्रोन दीदी या नमो दीदी के नाम से पहचाना जाता है। इस काम में उन्‍हें न सिर्फ नई पहचान दी बल्कि पूरे इलाके के साथ साथ रिश्‍तेदारों में भी उन्‍हें बेहद सम्‍मान के साथ  अलग पहचान मिली।

रेखा ओझा ने बताया कि जब मेरा नाम ड्रोन दीदी के लिए दिया तो उन्‍होंने सोचा कि मैं कैसे ड्रोन चलाउंगी जबकि मुझे मोबाइल, साइकिल तक चलाना नहीं आता था। तब मुझे गणपति सीएलफ में ड्रोन प्रशिक्षण के लिए 5 दिन की ट्रेनिंग के लिए इंदौर भेजा।  तब मैंने वहां जाकर प्रशिक्षण में  रिमोट अपने हाथ में लिया और ड्रोन उडाया तब मुझे बहुत खुशी हुई। उसके बाद मुझे 5 दिन के लिए भोपाल प्रशिक्षण के लिए भेजा गया वहां भी 5 दिन की ट्रनिंग लेने के बाद हमें ड्रोन मिला और चलाना भी सिखाया। रेखा ने बताया कि अगर वह आजीविका मिशन से नहीं जुडती तो शायद वह यह सब नहीं कर पाती। उन्‍होंने आजीविका मिशन का बार बार धन्‍यवाद दिया कि  गांव की महिलाओं को निकालकर समूह द्वारा आगे बढ़ा रहे हैं। इसकी वजह से मैं आज यहां तक पहुंच पाई हूं।ड्रोन दीदी अब तक 40 बीघा खेतों में दवा का छिड़काव कर चुकी हैं। रेखा ने बताया कि ड्रोन से बहुत सारे फायदे होते हैं जैसे कि खेत में दवा सिंच रहे होते हैं तो खेत में जाने की जरूरत नहीं होती, पानी की बचत होती है और दवा से फसल की जड पर दवा जाती है तो उससे समय की भी बचत होती है । किसानों में उनकी ड्रोन की मांग भी बढ़ी है।

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