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कलेक्टर की नाक के नीचे मंडी में बड़ा घोटाला,चुप्पी चर्चा में

 Updated on 25 Sep, 2018 10:57 AM IST

     

सहरिया किसान करेंगे घेराव देंगे धरना मण्डी सचिव स्तर से इस जांच को मैनेज

शिवपुरी एमपी जागरण .कॉम 
जिले में करीब 25 हजार क्विंटल से अधिक की लहसुन और करीब इतना ही प्याज की कागजी खरीद ने शासन के किसान हितैषी मंसूबों को ध्वस्त कर दिया है। यहां मण्डी सचिव और मण्डी प्रबंधन की व्यापारियों से मिलीभगत सामने आई है गोदामों में न प्याज है न लहसुन और न ही निकासी के अनुज्ञा पत्र फिर भी भावान्तर के नाम पर शासन को दम से चूना लगाने का खेल यहां जमकर खेला गया है। हैरत की बात है कि प्रशासन की नाक के नीचे यह सब होता रहा मगर किसी अधिकारी ने इस ओर देखना तक मुनासिब नहीं समझा। अब सहरिया किसान इस मामले को लेकर आन्दोलन करने कि फ़िराक में हैं .
शिवपुरी कृषि मण्डी में किसानों का शोषण भी हर स्तर पर किया जा रहा है। पिछले समय भावान्तर योजना के नाम पर हजारों क्ंिवटल प्याज और लहसुन का फर्जीवाड़ा हुआ है, इस फर्जीवाड़े की जानकारी संचालनालय तक को है मगर मण्डी सचिव स्तर से इस जांच को मैनेज कर लिया है। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों का रवैया भी इस भावान्तर घोटाले में समझ से परे है। किसानों के नाम पर किए गए इस फर्जीवाड़े में नीचे से ऊपर तक बड़ी चैन जुड़ी है, तमाम दस्तावेज यहां फर्जी तैयार कराए गए हैं। यहां न तो अनुबंध पर्ची का संधारण मिलेगा न तौल पट्टी खतौनी और न ही 37-2 के तहत किये जाने वाले भुगतान पत्रकों की ठीक-ठीक जानकारी संधारित मिल पाएगी। और तो और भावान्तर में क्रय की गई जिंस का ही कोई टैक्स रिकार्ड ही यहां उपलब्ध है।

अनुबंध पर्ची, तौल पट्टी, खतौनी और 37-2 के तहत किये जाने वाले भुगतान पत्रक वह रिकार्ड है जिसके आधार पर वार्षिक लेखा सत्यापन होता है, जब इन तीनों का ही अता-पता नहीं तो लेखा सत्यापन की स्थिति यहां कैसे बनेगी यह सोचनीय विषय है , मगर कलेक्टर से लेकर मण्डी बोर्ड के अधिकारियों तक कोई इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। भावान्तर योजना के तहत मण्डी में एक एक दिन में प्याज और लहसुन की चौंकाने वाली हजारों क्विंटल जिंस की आवक जून माह में देखी गई जिसमें 15 से 18 हजार क्विंटल जिंस मण्डी में आना दर्शाया है जो कि एक तिथि में सम्भव नहीं। इस क्रय में रैकेटियर्स का सीधा सीधा हाथ है।

यहां भावान्तर योजना को एक रैकिट ने पलीता लगाया जिसमें एक भाजपा नेता से लेकर तमाम दलाल, आढ़तिए, मण्डी सचिव तुलावटी और अन्य कारोबारियों ने सहभागिता की है। जिस तादात में प्याज और लहसुन की आमद बताई गई उतना माल आया ही नहीं कागजों में आवक हुई और मण्डी शुल्क तक जमा नहीं हुआ। कागजों में ही व्यापारियों ने मण्डी सचिव की मिली भगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर प्याज लहसुन का क्रय भी दर्शा दिया। प्याज का समर्थन मूल्य 8 रुपए और लहसुन का 32 रुपए था। जिन व्यापारियों ने माल खरीदी दर्शाई है उनके गोदामों का ही आज की तिथि में परीक्षण करा लिया जाए तो वहां माल मिलेगा ही नहीं और इतनी जल्दी वे उसकी विक्री भी नहीं बता पाऐंगे क्योंकि यदि विक्री की है तो उसका अनुज्ञा पत्र कहां हैं। यानि सब कुछ गोलमाल है।

नियमानुसार कृषि मण्डी में जब जिंस आते हैं तो अनुबंध पर्ची 37-1 के तहत काटी जाकर माल का अनुमानित बजन लिखा जाता है, फिर होती है तौल पट्टी जारी जिसे मण्डी कार्यालय इश्यु करता है और इसकी विधिवत खतौनी बनती है। इसके उपरांत भुगतान 37-2 पत्रक के तहत किया जाकर इसका लेखा संधारित किया जाता है, और तो और 14 दिन के भीतर सम्बन्धित फर्म को अपनी पाक्षिकी भी देनी होती है जो माह में दो बार और वर्ष में 24 पाक्षिकी देय होती हैं। ऐसी फर्में जिनका टर्न ओवर 60 लाख से अधिक है उनके लिये यह बाध्यता तो हो ही जाती है। बावजूद इसके मण्डीके कर्ताधर्ता अपनी मनमानी कर इन तमाम रिकार्डों का संधारण ताक पर रखे हुए हैं और यहां मण्डी मनमाने ढंग से संचालित हो रही है। 

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