नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेरिकी सरकार ने पहली बार कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का मुद्दा भारत के समक्ष उठाया है। लेकिन साथ ही भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर भरोसा भी जताया है। खास तौर पर जिस तरह से सीएए को लेकर समाज में चर्चा हो रही है और इस पर कोर्ट में विचार किया जा रहा है उसको लेकर संतोष जताया है। अमेरिका ने कहा है कि वह भारत में इन प्रक्रियाओं का आदर करता है। वैसे भारत ने साफ किया है कि अमेरिका और भारत के बीच गुरुवार को वाशिंगटन में हुए ''टू प्लस टू'' वार्ता में इन मुद्दों को नहीं उठाया गया था।
अल्पसंख्यकों के अधिकारों और धार्मिक आजादी का मुद्दा उठाया भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में अमेरिकी प्रशासन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने यह बताया कि ''विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों और धार्मिक आजादी की सुरक्षा के मुद्दे को बहुत ही स्पष्ट तरीके से रखा है। यह हमारी कूटनीति का बहुत ही अहम हिस्सा है। हमारे विभाग और सचिव की नीति में भी इसे खास स्थान है। लेकिन सचिव इस बात को भी मानते हैं कि भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। इस कानून (सीएए) के बारे में भारत में काफी व्यापक तौर पर चर्चा हो रही है। कोर्ट भी उसकी समीक्षा करेगा। राजनीतिक दलों की तरफ से उसका विरोध किया जा रहा है। मीडिया में भी इस पर चर्चा हो रही है। यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत हो रहा है और हम उसका आदर करते हैं।'' अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि उक्त कानून (सीएए) की समीक्षा भारतीय व्यवस्था के दायरे में ही होना चाहिए।
भारत लगातार अमेरिका के संपर्क में
अमेरिकी विदेशी विभाग की तरफ से पहली बार इस तरह की प्रक्रिया आई है। इसके पहले अमेरिकी प्रशासन के एक अन्य विभाग जो धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ी हुई है ने सीएए को लेकर बेहद कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। सीएए की तरफ से अमेरिका ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद की स्थिति और अभी तक कई राजनेताओं के हिरासत में होने का मुद्दा भी उठाया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि 05 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से ही भारत लगातार अमेरिका के संपर्क में है। अमेरिका का दवाब यह है कि भारत कश्मीर में जल्द से जल्द राजनीतिक प्रक्रिया शुरु करे व वहां बंद राजनेताओं को रिहा करे। इस पर भारत ने उन्हें बताया है कि हालात तेजी से सामान्य हो रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग की चिंताओं के बारे में जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार से पूछा गया तो उनका जवाब था कि, ''टू प्लस टू वार्ता में यह मुद्दा नहीं उठा था।''
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