सरकार के कारिंदों नें बड़े पुल निर्माण का श्रेय लिया और उदघाटन भी हुआ पर नही चेती आजादी के 70 साल से मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकारें की, बन जाये नदी पार जानें के लिए बड़ा नही तो छोटा सा ही पुल।
आजादी के सत्तर साल नागनाथ ओर सांपनाथ की बनी सरकारें परन्तु दो राज्यों की जनता को नही मिला पुल का सहारा।
आम जन नेता नदी से कर रहे खनन ओर बेशकीमती भूमियों पर हो रहा जंगलाती भूमि पर दोनों राज्यों में प्रभाव शाली लोगों का अतिक्रमण परन्तु पेट पालन करनें वालों पर गिरती है यदाकदा जांच के नाम पर वन विभाग की गाज।
अदालती आदेश की पालना में कभी गरीबों के पत्थर पकड़े जाते तो कभी रेती के ट्रेक्टर परन्तु मोटी मुर्गियों को डाला जा रहा अब भी दाना-पानी बस भारत देश में पढ़ी ओर गढ़ी जा रही यही है लोकतन्त्र में देश विकास की कहानी।
कभी खींचीं राजाओं का गढ़ रहा गुगोर किला ओर आसपास फैली सांकृतिक, पुरातात्विक,ऐतिहासिक पुरासम्पदा हो गयी नष्ट।
माघ मास में लगता है हर वर्ष गुगोर बिजासन माता जी का मेला दो राज्यों के दर्शनार्थी आते है दर्शनों को खंडहर रास्ता ओर मिट्टी के सड़क पुल के रास्ते से सड़क पर होती है खतरे के साथ दैनिक वाहनों की सैकड़ो की संख्या में आवाजायी।
शुक्र है बिजासन मैया का की अब तक वर्षाती कुछ दुर्घटनाओं को छोड़ नही हुई बड़ी घटना।
जनता के सामनें इधर दोनों राज्यों में नही है तीसरा कोई प्रतिनिधि चुनने का विकल्प एक बार नागनाथ की सरकार फिर आ जाती है दूसरी बार सांपनाथ की सरकार,दोनों ही अपनों को खा कर एक जैसी कहानी दोराती रहती है।
जनता के हाथ ओर भाल पर केवल लिख रही दो दलों की अलग-अलग बन रही सरकारें जो आम जन को रोजगार के नाम पर गरीबी में गड्ढे खोदनें का दे रही रोजगार और मुफ्त के अन्न से लिख रही तकदीर।
शिक्षा और रोजगार की दृष्टि से आज भी छबड़ा-छीपाबड़ौद का इलाका पिछड़ा ही बना हुआ है आज भी नही है बड़े होंदो पर इधर के राजकीय कार्मिक ओर ना ही लोकप्रिय जन नेता।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छबड़ा:-मुख्यालय से मात्र कुछ ही दूरी पर बहती है गुगोर ग्राम के निकट पार्वती नदी जहां राजस्थान की सीमा दूसरी ओर से मध्यप्रदेश से मिलती है।दोनों राज्यों को अलग करनें में पार्वती नदी बनाती है सीमा रेखा।देश में राजाओं और रजवाड़ो के राज्य के क्रम में टोक नबाब का भी राज रहा बाद में अंग्रेजों की रही शासन व्यवस्था।लम्बे संघर्ष और शहीदों की कुर्बानियों के बाद 1947 में भारत हुआ आजाद ओर 1950 में लागू हुआ संविधान का राज।मध्यप्रदेश की सीमा से लगा यह क्षेत्र और गुगोर सहित आसपास के इलाके पर कभी खींची राजाओं की छत्र-छाया में विकसित हुयीं यहां की पुरातात्विक ऐतिहासिक पुरा सम्पदा स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ओर स्थानीय निवासियों की उदासीनता ओर लोभ-लालच के कारण नष्ट हो गयीं।आजादी के 70 सालों से दोनों ओर की जनता पार्वती पर सुगम मार्ग के लिए पुल निर्माण की आवाज यदाकदा उठाती रही है।पुल नही होनें से ज्यादा परेशानी तब होती है जब चार महीनें का चौमासा आता है ओर दोनों ओर की जनता के मिलन का सहारा जलतुंबी,मटके,पीपे, ट्यूब ओर स्थानीय लोगों की संचालित नावें बनती है रिश्तों के तीज-त्योहारों पर मिलन का सहारा ओर साधन जिनसे यदा कदा जन हानि भी हो जाती है जब कोई बीमार हो जावें या डिलेवरी होनें को हो तो इलाज की सुविधा के लिए मध्यप्रदेश के गांवों से राजस्थान की ओर रुख करनें वाले लोगों को ज्यादा परेशानी होती है।वर्ष के शुरुआती दिनों में राज्य के दोनों ओर से उठी आवाज तो पुल निर्माण को लेकर आनन-फानन में उदघाटन भी हुआ ओर अखबारों में श्रेय लेनें दोनों ओर से आगे आये आम जन नेता उदघाटन, भाषण ओर चाटन के बाद काम भी शुरू हुआ परन्तु कुछ गड्ढे हुये ही थे कि भ्रष्टाचार से कार्य ऐसा बन्द हुआ कि आज तक वर्षा विगद शरद ऋतु आ गयीं परन्तु दोनों राज्यों के जिम्मेदार लोगों के मन में पुल निर्माण की बात अभी तक नही सुहाही।प्रतिदिन राजस्थान के छबड़ा कस्बे से मध्यप्रदेश के फतेहगढ़ क़स्बे की ओर जानें वाले सैकडों वाहनों की आवाजाही होती है जिससें सभी लोगों को परेशानियों से होकर गुजरना पड़ता है अब देखना यह है कि आम जन को इसी वर्ष राहत मिलती है या फिर दूसरी सरकार बननें का इंतजार होगा भगवान ही जानें इस देश के कर्ण धारों का की यह देश विकास कर रहे या स्वविकास।
रिपोर्टर कुलदीप सिंह सिरोहीया बारां छबड़ा
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