भारतीय मानक समय अनुसार, आंशिक सूर्यग्रहण सुबह 8 बजे आरंभ होगा, जबकि वलयाकार
इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण कल 26 दिसंबर, 2019 (5 पौष, शक
संवत 1941) को लगने जा रहा है जो वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा अर्थात
पूर्णग्रास नहीं बल्कि खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा. इससे पहले इस साल 6
जनवरी और 2 जुलाई को आंशिक सूर्य ग्रहण लगा था. पृथ्वी विज्ञान
मंत्रालय ने बताया कि भारत में सूर्योदय के बाद इस वलयाकार सूर्य ग्रहण
को देश के दक्षिणी भाग में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों देखा
जा सकेगा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में
दिखाई देगा. ग्रहण का सूतक काल 25 दिसंबर को शाम 5:31 बजे से लग
जाएगा, जो सूर्य ग्रहण की समाप्ति के साथ ही खत्म होगा.
भारतीय मानक समय अनुसार, आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 8 बजे आरंभ होगा,
जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9.06 बजे शुरू होगी. सूर्य
ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी,
जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनट पर
समाप्त होगी.
ग्रहण की वलयाकार प्रावस्था का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी
हिस्से में कुछ
स्थानों यथा कन्नानोर, कोयंबटूर, कोझीकोड, मदुरई, मंगलोर, ऊटी,
तिरुचिरापल्ली इत्यादि से होकर गुजरेगा. भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण
के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढका रहेगा. सूर्य और
पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आ जाने से सूर्य का प्रकाश जब पृथ्वी पर नहीं
पहुंच पाता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं.सूतक काल का हिंदू
धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्र
ग्रहण दिखाई देने पर सूतक के कई मायने हैं. सूर्यग्रहण में सूतक का प्रभाव
लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता हैं. वहीं चंद्र ग्रहण में यह अवधि 9 घंटे
की हो जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ग्रहण के दौरान सूतक लगने
पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस दौरान कोई भी धार्मिक
या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
पौराणिक मान्यता
ज्योतिष के अनुसार राहु ,केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है. चंद्र ग्रहण
के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है. इस कारण सृष्टि
इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है.
ग्रहण के दौरान ये न करें -
- ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए.
- ग्रहण को नग्न आखों से न देखें
- चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की
जरूरत है
. क्योंकि ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो
कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं.
शुभ है या अशुभ घटना?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह एक अशुभ घटना है और इसकी छाया
से बचने के लिए लोग ग्रहण के बाद स्नान-दान करते हैं. लेकिन अब
ज्ञान-विज्ञान का प्रसार होने से चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण संबंधी भ्रांतियां
कम हुई हैं. हालांकि, कई लोग आज भी मानते हैं कि इस खगोलीय घटना
से स्वास्थ्य और व्यापार पर असर होता है इसलिए वे दान और पुण्य के
कार्य करते हैं.
x
x