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शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में प्रतिभा पर्व


11,035 शालाओं के 67,43,077 विद्यार्थी होंगे शामिल

    मध्यप्रदेश की सभी शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में 12 दिसंबर से प्रतिभा पर्व की शुरूआत हो चुकी है। इस तीन दिवसीय पर्व में 11,035 शालाओं के 67 लाख 43 हजार 77 बच्चे शामिल होंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने बताया कि शालाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रतिभा पर्व का अयोजन किया जा रहा है।
मंत्री डॉ. चौधरी ने बताया कि प्रतिभा पर्व में पहले और दूसरे दिन विद्यार्थियों का शैक्षणिक मूल्यांकन किया जायेगा। पर्व के अंतिम दिन 14 दिसंबर को सभी शालाओं में वार्षिकोत्सव मनाया जायेगा। इस उत्सव में बच्चों की सांस्कृतिक और खेल-कूद गतिविधियाँ आयोजित की जायेंगी। वार्षिकोत्सव में बच्चों के माता-पिता और अभिभावक भी शामिल होंगे।
प्रतिभा पर्व के माध्यम से बच्चों का अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन और शालेय व्यवस्था का आकलन किया जाएगा। शाला स्तर पर शिक्षकों द्वारा किये गए आकलन का जिला कलेक्टर द्वारा नियुक्त अधिकारी सत्यापन करेगा। इसके बाद बच्चों और शाला प्रबंध समिति के सदस्यों से चर्चा कर शाला में उपलब्ध अभिलेखों का सत्यापन किया जायेगा।
प्रतिभा पर्व मूल्यांकन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे के मापदंडों के अनुरूप बनाने की दृष्टि से यूनीसेफ के सहयोग से कक्षा 3री,5वीं और 8वीं में हिन्दी तथा गणित विषयों में मूल्यांकन का स्वरूप तैयार किया गया है। प्रतिभा पर्व के मूल्यांकन में यह प्रयास किया जाएगा कि बच्चों का विकास जीवन की वास्तविक परिस्थितियों का अनुभव करते हुए सुनिश्चित हो। डाटा सेम्पल विश्लेषण यूनिसेफ/।प्त् (अमेरिकन इंस्टीट्यूट फार रिसर्च) द्वारा कराया जाएगा। इसके आधार पर राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे के पैटर्न में बच्चों की लर्निंग आउटकम आधारित उपलब्धि स्तर प्राप्त करने के लिए जिलेवार रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जाएगा। इसके लिये प्रति जिला 180 शालाएं सेम्पल के रूप में राज्य स्तर से चयनित की गयी हैं। सैम्पल शालाओं में सत्यापनकर्ता अधिकारी की उपस्थिति में रिस्पांस शीट में अंतिम रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। इन रिस्पांस शीट्स का राज्य स्तर पर यूनीसेफ/।प्त् से विश्लेषण कराया जाएगा।
जन-प्रतिनिधियों से बाल-सभा में शामिल होने का आग्रह
 स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. चौधरी ने जन-प्रतिनिधियों को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि बच्चों की बाल-सभा में शामिल होकर उनकी सांस्कृतिक, साहित्यिक और खेलकूद की गतिविधियों का आनंद लें। उन्होंने कहा कि बाल-सभा में जन-प्रतिनिधियों की उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ेगी और बच्चों का उत्साहवर्द्धन होगा।

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