शिवपुरी. स्कूल बच्चों से भरी बस गुरुवार की दोपहर रेलवे स्टेशन के पास विद्युत पोल से टकरा गई। इस हादसे में बस में सवार दो बच्चों चोट आईं हैं। घायल बच्ची का कहना है कि जिस समय हादसा हुआ उस समय क्लीनर बस चला रहा था और ड्रायवर बस में पीछे था। हादसे के बाद घायल बच्चों को देखने स्कूल प्रबंधन का कोई भी व्यक्ति अस्पताल नहीं पहुंचा।
जानकारी के अनुसार गुरुवार की दोपहर गुरुनानक हायर सेकंडरी स्कूल की बस छुट्टी होने के बाद जब बच्चों को घर छोडऩे जा रही थी, तब बस के चालक ने लापरवाही बरतते हुए क्लीनर को बस चलाना सीखने के लिए स्टेयरिंग थमा दी और खुद बस में पीछे चला गया। क्लीनर एक बच्चे को रेलवे स्टेशन के पास उतारने के बाद गाड़ी लेकर वापस चला तो वह बस को काबू में नहीं कर पाया और वह विद्युत पोल से जा टकराई। टक्कर इतनी तेज थी कि विद्युत पोल टूट गया। इस हादसे का सुखद पहलू यह रहा कि बस में सवार किसी बच्चे को कोई गंभीर चोट नहीं आई, हालांकि दो बच्चे चोटिल हुए हैं। अगर बस पलट कर गड्ढे में गिर जाती या फिर बिजली का तार टूट कर उस पर गिर जाता तो यह हादसा गंभीर रूप ले सकता था। हादसे में घायल हुई कक्षा तीन की छात्रा रौनक पुत्री जितेंद्र रावत व नर्सरी के छात्र सोनू को उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, परंतु स्कूल प्रबंधन के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति ने उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह बच्चों के परिवार वालों का नंबर तलाश किया और उन्हें फोन पर हादसे की सूचना दी। घायल बच्ची रौनक ने पत्रिका को बताया कि जिस समय हादसा हुआ उस समय उन्हें बस में चढ़ाने और उतारने वाले भैय्या बस चला रहे थे। पुलिस ने मामले की विवेचना प्रारंभ कर दी है।
जानकारी के अनुसार गुरुवार की दोपहर गुरुनानक हायर सेकंडरी स्कूल की बस छुट्टी होने के बाद जब बच्चों को घर छोडऩे जा रही थी, तब बस के चालक ने लापरवाही बरतते हुए क्लीनर को बस चलाना सीखने के लिए स्टेयरिंग थमा दी और खुद बस में पीछे चला गया। क्लीनर एक बच्चे को रेलवे स्टेशन के पास उतारने के बाद गाड़ी लेकर वापस चला तो वह बस को काबू में नहीं कर पाया और वह विद्युत पोल से जा टकराई। टक्कर इतनी तेज थी कि विद्युत पोल टूट गया। इस हादसे का सुखद पहलू यह रहा कि बस में सवार किसी बच्चे को कोई गंभीर चोट नहीं आई, हालांकि दो बच्चे चोटिल हुए हैं। अगर बस पलट कर गड्ढे में गिर जाती या फिर बिजली का तार टूट कर उस पर गिर जाता तो यह हादसा गंभीर रूप ले सकता था। हादसे में घायल हुई कक्षा तीन की छात्रा रौनक पुत्री जितेंद्र रावत व नर्सरी के छात्र सोनू को उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया, परंतु स्कूल प्रबंधन के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति ने उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। पुलिसकर्मियों ने किसी तरह बच्चों के परिवार वालों का नंबर तलाश किया और उन्हें फोन पर हादसे की सूचना दी। घायल बच्ची रौनक ने पत्रिका को बताया कि जिस समय हादसा हुआ उस समय उन्हें बस में चढ़ाने और उतारने वाले भैय्या बस चला रहे थे। पुलिस ने मामले की विवेचना प्रारंभ कर दी है।
फेंसिंग नहीं होती तो पलट जाती बस
हादसे का सुखद पहलू यह रहा कि जिस जगह हादसा हुआ वहां पर रेलवे विभाग द्वारा जमीन की सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग की गई थी। बस विद्युत पोल से टकराने के बाद तिरछी होकर उसी तार फेंसिंग के खंबों से टकरा गई। अगर तार फेंसिंग के खंबे नहीं होते तो बस गड्ढे में गिर जाती और हादसे में कई बच्चे गंभीर रूप से घायल हो जाते।
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