नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि, युवा और तकनीक का संगम होना चाहिए और देश के गरीब किसानों को भी कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने पर भी जोर दिया।
तोमर ने शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंन्द्रों (केवीके) के तीन दिवसीय 11वें राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्धाटन किया। ‘प्रौद्योगिकी आधारित खेती हेतु युवाओं का सशक्तिकरण’ विषयक सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह समय की आवश्यकता के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कृषि की विरासत आने वाली पीढ़ी को सौंपना कठिन दिखाई दे रहा है, ऐसे में इस कार्यक्रम के माध्यम से कृषि, युवा और तकनीक का जुड़ाव कैसे हो, इस पर विचार होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने अधिक से अधिक किसानों तक केवीके की पहुंच बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि क्षेत्र में मैपिंग करके किसानों को केवीके से जोड़ने का रोड मैप तैयार किया जाना चाहिए। केवीके सभी किसानों का प्रतिनिधि हैं। ये केंद्र कृषि संबंधी समस्याओं के निराकरण के केंद्र बने, गरीब किसानों का सहारा बने यह आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवीके के साथ 171 मोबाइल एप व 3 लाख सीएससी कार्यरत है, इनके लाभ किसानों के खेतों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पिछले वर्षों में 13 हजार करोड़ रूपए किसानों का प्रीमियम जमा हुआ और उन्हें 58 हजार करोड़ रू. मुआवजे का भुगतान हुआ। वहीं, योजना को अब सरकार ने स्वैच्छिक कर दिया है।
तोमर ने बताया कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने के लिए ई-नाम योजना चलाई गई है। इसके तहत 585 थोक मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म से जोड़ा जा चुका है, जबकि 415 अन्य मंडियों को अतिशीघ्र इससे जोड़ दिया जाएगा। इसके माध्यम से 91 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन किया गया है। उन्होंने कहा कि किसान अपने उत्पाद की लागत घटा सके, पैकेजिंग व ब्रांडिंग कर अपने उत्पाद को देश के बाजार में कहीं भी बेच सकें, इसके लिए एफपीओ की भूमिका महसूस की गई, इसके मद्देनजर सरकार ने हाल ही में 6,865 करोड़ रुपये के कुल बजटीय प्रावधान के साथ 10 हजार नए एफपीओ बनाने की घोषणा की है। इन एफपीओ में किसानों को जोड़ने की जिम्मेदारी भी केवीके की रहेगी।
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