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मैं तुलसी तेरे आँगन की नहीं:सिलावट

"करोना वायरस "

मैं तुलसी तेरे आँगन की नहीं:सिलावट

              श्रीगोपाल गुप्ता

देश वासियों को याद होगा की अगस्त 1978 में फिल्म निर्देशक राज खोसला के निर्देशन में एक फिल्म रिलीज हुई थी " मैं तुलसी तेरे आॅगन की "!फिल्म ने बहुत धूम मचाई और वो सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनकर उभरी मगर खास बात ये है कि फिल्म से भी ज्यादा उसके इस गाने ने धूम मचाई "मैं तुलसी तेरे आॅगन, कोई नहीं मैं तेरे साजन की! दरअसल यह गाना लता मंगेशर की आवाज में आशा पारेख ने गाया था नूतन के लिए जो उनके पति की दूसरी पत्नी थी और वो आशा पारेख से नफरत करती थी! मगर ये वफादारी व पति के प्रति आघाध प्रेम करने वाली आशा पारेख फिल्म आत्महत्या भी कर लेती हैं फिल्म की बात थी! मगर हकीकत में जिस कांग्रेस आंगन में खेले बड़े हुये और प्रदेश के काबीना स्वास्थ्य मंत्री बने तुलसी सिलावट ने उसी कांग्रेस को यह कहते हुये कि "मैं तुलसी तेरे आॅगन की नहीं" आँगन त्याग कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया! पार्टी छोड़ना और अन्य किसी पार्टी का पल्लु पकड़ने किसी का भी मूल-भूत अधिकार है, इस पर कोई प्रश्न नहीं खड़ा किया जा सकता! मगर दुःखद और कष्टप्रद इसलिये है कि जब तुलसी ने कांग्रेस का आँगन छोड़ा तब पूरा देश और खुद उनका प्रदेश मध्यप्रदेश में भी हा-हाकारी कोरोना वायरस की महामारी की दस्तक दे चुका था! एक स्वास्थ्य मंत्री के रुप में उनके निकटवर्ती राज्य छत्तिसगढ़ में उनके सहोदर टीएन सिंहदेव करोना वायरस से लड़ाई लड़ने की तैयारियों में व्यस्त हो गए थे!तब सिलावट अपने सहयोगी 18 विधायकों के साथ मप्र की अपनी ही पार्टी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराने का खेल मध्य प्रदेश से दूर बेंगलुरु के एक फाइव स्टार नुमा रिसोर्ट में खेल रहे थे! नतीजा सामने है कि आपात संकट के समय तुलसी सिलावट के अपनी जिम्मेदारियों से मूंह मोढ़ लेने के कारण आज मप्र बुरी तरह से कोरोना वायरस की चपेट में है! जबकि इंदौर जहां की सांवेर विधानसभा से वे दूसरी मर्तबा जीत कर आये और प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री बने,वो इंदौर आज पूरे प्रदेश में कोरना वायरस का केन्द्र बिंदू बनकर उभरा है! प्रदेश में सबसे ज्यादा कोरोना वायरस से मरने वालों की इंदौर में संख्या सबसे ज्यादा है और इस खतरनाक वायरस से पीड़ितों की संख्या आज 173 हो गई है जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है! जबकि प्रदेश की राजधानी भोपाल में संक्रमितों के संख्या 85 हैं और इनमें भी आधे से ज्यादा लगभग 45 लोग सिलावट  के पूर्व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हैं।

मध्यप्रदेश को काटकर सन् 2000 में तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की सरकार ने बनाये छत्तीसगढ़ की जनता मप्र के मुकाबले बहुत ज्यादा महफूज व सुरक्षित है और देश में भी उसके कोरोना वायरस से लड़ाई अब्बल है! छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस से पीड़ित 11 मरीज सामने आये जिन्हें उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जिन्हें स्वास्थ मंत्री की कर्मठता और कोरोना वायरस को लेकर भारी सतर्कता की बजह 10 लोंगों ठीक कर उनके घर रवाना कर दिया गया जबकि बचे एक मरीज का स्वास्थ्य भी ठीक है! वहां के स्वास्थ्य मंत्री टीएन सिंहदेव ने एक साक्षात्कार में बताया की हमने कोरोना की धमक की सूचना मिलते ही 27 जनवरी को ही प्रदेश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बार रुम बना लिया था! बाकायदा पूरी फरवरी में मेडिकल उपकरण, दवा स्वास्थ विभाग के चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ को ट्रेंट कर दिया था और यही कारण है कि छत्तिसगढ़ कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ने में सक्षम हो पाया है! यह वो ही समय था जब मप्र में भी मेडिकल उपकरण, दवा, और प्रदेश के लगभग साढ़े चार हजार चिकित्सक व 50 हजार पैरा मेडिकल की ट्रैनिंग होनी थी!  ये सारी की सारी फाइलें मंत्री जी के अनुमोदन के लिए उनकी टेबिल पर पड़ी-पड़ी उनकी वाॅट जोहती रहीं और धूल फांकती रहीं जबकि मंत्री जी अपने साथी विधायकों के साथ सरकार को गिराने के खेल में मग्न रहे! इधर उनके विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल व स्वास्थ मंत्रालय की अत्तिरिक्त संचालक वीणां सिण्हा ने भी भोपाल में कोरोना कहर ढा दिया! ये दोनो पढ़ी-लिखी महिला अफसरानों ने अपने-अपने बेटों के अमेरिका से वापिसी आने की बात को छुपाया ,नतिजन ये दोनों कोरोना से संक्रमित हो गई! इनके सिरों पर इल्जामात हैं कि संक्रमित होने के बावजूद ये स्वास्थ्य संचानालय  में काम करती रहीं जिसके कारण करीब साढ़े तीन दर्जन कर्मचारियों में भी कोरोना वायरस पाॅजीटिव पाया गये हैं ! ऐसे में इंदौर में एक प्रेस काॅन्फ्रेंस करके पूर्व स्वास्थ मंत्री तुलसी सिलावट का यह आरोप की कोरोना वायरस से बुरी तरह पीड़ित इंदौर में निजी चिकित्सालय सहयोग नहीं कर रहे हैं बैमानी है और एक स्वास्थ्य मंत्री के रुप में अपनी जिम्मेदारी न निभाने की गल्

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