अनेक महापुरूषों के निर्माण में नारी का प्रत्यक्ष या परोक्ष योगदान रहा है। कहीं नारी प्रेरणा-स्रोत तथा कहीं निरन्तर आगे बढ़ने की शक्ति रही है। भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही नारी का महत्व स्वीकार किया गया है। हमारी संस्कृति का आदर्श सदैव से रहा है कि जिस घर नारी का सम्मान होता है वहाॅ देवता वास करते हैं। भारत के गौरव को बढ़ाने वाली ऐसी ही एक महान नारी लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर का जन्म 31 मई, 1725 को औरंगाबाद जिले के चैड़ी गांव (महाराष्ट्र) में एक साधारण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम मानकोजी शिन्दे था और इनकी माता का नाम सुशीला बाई था। अहिल्या बाई होल्कर के जीवन को महानता के शिखर पर पहुंचाने में उनके ससुर मल्हार राव होलकर मुख्य भूमिका रही है।
देवी अहिल्या बाई होल्कर ने सारे संसार को अपने जीवन द्वारा सन्देश दिया कि हमें दुख व संकटों में भी परमात्मा का कार्य करते रहना चाहिए। सुख की राह एक ही है प्रभु की इच्छा को जानना और उसके लिए कार्य करना। सुख-दुःख बाहर की चीज है। आत्मा को न तो आग जला सकती है। न पानी गला सकता है। आत्मा का कभी नाश नही होता। आत्मा तो अजर अमर है। दुःखों से आत्मा पवित्र बनती है।
मातु अहिल्या बाई होल्कर का सारा जीवन हमें कठिनाईयों एवं संकटों से जूझते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। हमें इस महान नारी के संघर्षपूर्ण जीवन से प्रेरणा लेकर न्याय, समर्पण एवं सच्चाई पर आधारित समाज का निर्माण करने का संकल्प लेना चाहिए। अब अहिल्या बाई होल्कर के सपनों का एक आदर्श समाज बनाने का समय आ गया है। मातु अहिल्या बाई होल्कर सम्पूर्ण विश्व की विलक्षण प्रतिभा थी। समाज को आज सामाजिक क्रान्ति की अग्रनेत्री अहिल्या बाई होल्कर की शिक्षाओं की महत्ती आवश्यकता है। वह धार्मिक, राजपाट, प्रशासन, न्याय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्याे में अह्म भूमिका निभाने के कारण एक महान क्रान्तिकारी महिला के रूप में युगों-युगों तक याद की जाती रहेंगी।
लोकमाता देवी अहिल्या बाई ने सबसे अधिक धार्मिक स्थलों का निर्माण कराया। इसके अतिरिक्त अन्य होलकर शासकों ने भी बहादुरी के साथ सराहनीय कार्य किये। जैसे- महाराजा तुकोजी राव होलकर ने सामाजिक सुधार के अनेक नियम बनायें। कानून का अध्ययन किया और उसके पश्चात् हिन्दू विधवा-पुर्न विवाह, एकल विवाह कानून, बाल विवाह प्रतिबन्धक कानून लागू कराया एवं प्रजा को रूढ़ियों से मुक्त भी कराया। इनके प्रथम पुत्र महावीर जशवंत राव होलकर भी साहसी और पराक्रमी थे। उन्होंने जाट राजा रणजीत सिंह के साथ मिलकर 18 दिनों तक अंग्रेजों से युद्ध किया तथा अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिये। इनका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजी हुकुमत से मुक्ति तथा हिन्दू धर्म को संरक्षण दिलाना था। इतिहासकारों के अनुसार 26 मई, 1728 से 16 जून, 1948 तक होलकरों का शासन काल रहा है। अर्थात कुल 220 वर्ष 22 दिन होलकरों ने शासन किया।
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