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भोपाल। कोई कितने भी दावे करने की लॉक डाउन के दौरान उसने या उसकी संस्था ने गरीबों तक भोजन पहुंचाने का काम किया है, निश्चित रूप से यह सराहनीय है परंतु 100% नहीं है। नतीजा भूख से तड़पती गर्भवती महिला जब अपने नवजात शिशु को दूध तक नहीं मिला पाई तो उसे बस स्टॉप पर छोड़ कर चली गई। शायद इस उम्मीद में कि
यह है भोपाल पुलिस की संवेदनशीलता: 10 दिन के भूखे बच्चे की जान बचाई
पौधे की नन्हीं टहनियों सा दिख रहा यह मासूम सिर्फ 10 दिन का है। वजन मात्र 1.3 किलोग्राम। भोपाल पुलिस को यह होशंगाबाद रोड पर एक कार शो-रूम के सामने बने BRTS बस स्टॉप पर रोता-बिलखता मिला। आसपास माँ को खोजा, लेकिन वह नहीं मिली। बच्चे की कमजोर हालत देख पुलिस बिना देर किए उसे जेपी अस्पताल ले गई। डॉक्टरों ने बताया- बच्चा कुपोषित है और भूखा है। उसके शरीर पर गहरी खरोंचें भी हैं। उसे जेपी के पीआईसीयू में भर्ती किया है। किसी संवेदनशील इंसान की नजर पड़ जाए।
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