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MOBILE पर जातिसूचक शब्द का उपयोग SC-ST ACT के तहत अपराध है या नहीं: हाईकोर्ट ने बताया

 
  
नई दिल्ली। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि फोन पर बात करते हुए किसी के लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करना एससी-एसटी के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी जाति को लेकर टिप्पणी करता है, जिसे लोगों के बीच उस वर्ग को नीचा दिखाने के लिए नहीं किया गया है तो उसे एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध मान लेने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं माना जा सकता।

Atrocity Act: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला

कुरुक्षेत्र निवासी संदीप और प्रदीप ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि सरपंच राजेंद्र कुमार ने उन दोनों के खिलाफ जाति को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने संबंधी जो शिकायत दी थी, वह आधारहीन है। जबकि सरपंच राजेंद्र के अनुसार, संदीप और प्रदीप ने देवीदयाल से फोन पर बात करते हुए उसके खिलाफ टिप्पणी की थी। देवीदयाल ने दोनों को टिप्पणी करने से रोका, लेकिन वे रुके नहीं।

Atrocity Act: 2 व्यक्तियों के बीच बातचीत जिसका गवाह नहीं

याचिकाकर्ताओं की तरफ  से कहा गया कि उनके पिता ने धर्मशाला के निर्माण में होने वाले 7 लाख रुपये के खर्च को लेकर आवाज उठाई थी, जिसके चलते उन दोनों के खिलाफ इस प्रकार की शिकायत दी गई है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि फोन कॉल पर दो व्यक्तियों के बीच की बातचीत के दौरान की गई टिप्पणी, जिनका गवाह न हो, वह एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आती।

नीचा दिखाने की इच्छा से लोगों के बीच बोले गए शब्द ही अपराध की श्रेणी में आते हैं

किसी को नीचा दिखाने की इच्छा से लोगों के बीच बोले गए शब्द ही अपराध की श्रेणी में आते हैं। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से कहा कि जब उसके समक्ष इस अपराध को लेकर दो पक्ष मौजूद हैं और अदालत के सामने कोई शब्द लोगों के बीच किसी को नीचा दिखाने के लिए जानबूझकर नहीं कहे गए हों तो वह किसी को अपराधी साबित करने और उसे सजा देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

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