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COLLAGE EXAM के बारे में UGC का नया बयान, राज्य सरकारें जनरल प्रमोशन की घोषणा कर सकती हैं या नहीं

DANIK BHASKAR CAREER NEWS : RSS FEED POSTS #EDUCRATSWEB

 नई दिल्ली। दिल्ली राज्य की अरविंद केजरीवाल सरकार ने यूजीसी के निर्देशों को मानने से इनकार करते हुए यूनिवर्सिटी/ कॉलेज एग्जाम नहीं कराने का फैसला लिया है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने यूजीसी के निर्देश के खिलाफ जनरल प्रमोशन की घोषणा कर दी है। कांग्रेस पार्टी सहित कई संगठनों ने जनरल प्रमोशन की मांग की है। यूजीसी पर पुनर्विचार के लिए दबाव है। इसके बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक नया बयान जारी किया है।

सभी यूनिवर्सिटी हमारी गाइड लाइन मारने के लिए बाध्य हैं: UGC

विश्वविद्यालय की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक बार से जरूरी करार देते हुए इसे छात्रों के व्यापक हित में बताया है। ऐसे में राज्य परीक्षाओं को लेकर कोई भी फैसला लेने से पहले छात्रों के हितों और शैक्षणिक गुणवत्ता पर पड़ने वाले प्रभाव का भी आंकलन करें। वहीं परीक्षाओं को लेकर जारी गाइडलाइन पर यूजीसी कहना है कि आयोग के रेगुलेशन के तहत सभी विश्वविद्यालय उसे मानने के लिए बाध्य है। हालांकि यह विवाद का समय नहीं है। सभी विवि को तय गाइडलाइन के तहत परीक्षाएं करानी चाहिए। 

स्टूडेंट्स को कोरोना संक्रमण से बचाने हेतु नियमों में काफी परिवर्तन कर चुके हैं: UGC

आयोग के सचिव रजनीश जैन ने कहा कि उन्होंने सभी राज्यों को परीक्षाओं को लेकर जारी गाइडलाइन और उसे कराने के लिए तय किए गए मानकों का ब्यौरा भेज दिया है। फिर भी यदि विश्वविद्यालयों को किसी भी मुद्दे को लेकर कोई भ्रम है, तो वह संपर्क कर सकते है। उन्होंने कहा कि जहां तक बात परीक्षाओं की है तो कोरोना संकट के चलते वह पहले से इसे लेकर विश्वविद्यालयों को काफी सहूलियतें दे चुके हैं। इसमें वह ऑनलाइन और ऑफलाइन किसी भी तरीके से करा सकते हैं। जिसमें वह ओपन बुक एक्जाम, एमसीक्यू (मल्टीपल च्वायस क्यूश्चन) जैसे परीक्षा के तरीके भी अपना सकते है। 

भारत सरकार भी परीक्षा कराने के पक्ष में

यूजीसी सूत्रों की मानें तो आयोग ने विवाद के बीच उन कानूनी पहलुओं को भी खंगालना शुरू कर दिया है, जिसके दायरे में सभी विवि आते हैं। हालांकि यूजीसी के जुड़े अधिकारियों का कहना है, कि वह इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते हैं। वैसे भी इसे लेकर काफी राजनीति हो रही है। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय भी राज्यों के साथ इसे मुद्दे पर जल्द चर्चा कर सकता है।

छात्रों के हितों और शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए परीक्षाएं जरूरी

उनका कहना है कि कोरोना के इस संकटकाल में भी दुनिया का कोई विवि या उच्च शैक्षणिक संस्थान बगैर परीक्षा या असेसमेंट के सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है। ऐसे में यदि भारतीय विश्वविद्यालय ऐसा करते है, तो इसका असर उनकी वैश्विक साख पर भी पड़ेगी। साथ ही जो भारतीय छात्र अपनी डिग्रियों या सर्टिफिकेट को लेकर नौकरियों के लिए जाएंगे, उन्हें भी इस चुनौती की सामना करना पड़ सकता है। यूजीसी देश में विश्वविद्यालयों की सबसे बड़ी नियामक संस्था है। सभी डिग्री कोर्स इसकी मंजूरी के बाद ही मान्य होते है। इसके साथ ही सभी विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक और शोध से जुड़ी गतिविधियों को संचालित करने के लिए यह वित्तीय मदद भी देती है। 

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