बिर्रा-कोरोना काल में सब कुछ बदला सा दिखाई पड़ रहा है। रक्षाबंधन के त्योहार पर भी कुछ यही तस्वीर नजर आ रही है। लोग जहां कोरियर या डाक विभाग की राखियां स्वीकार करने से हिचक रहे हैं तो वहीं कई घरों में बच्चों ने यू टयूब देखकर राखी बनाने का जिम्मा संभाल लिया है। ऐसे में जहां राखी का कारोबार को ग्रहण लगा है तो वहीं स्वनिर्मित राखियों का इस त्योहार पर कुछ अलग ही क्रेज है। कोरोना काल में लोग जहां इधर उधर जाने से बच रहे हैं तो वहीं बाहर की चीजों से भी डरे सहमे हुए हैं। रक्षाबंधन के त्योहार राखियों का खासा महत्व माना जाता है। बहुत सी बहनें अपने भाइयों के लिए डाक अथवा कोरियर से राखियां भेजती हैं तो वहीं घरों पर भी राखियां बाजार से ही आती हैं। इस बार भी बाजार में राखियां सजी हुई हैं मगर अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए बहनें दुकानों पर कम ही निकल रही हैं। बाहर की राखियों को खरीदने में बहनों को डर सा लग रहा है। ऐसे में बहनों ने आसान तरीके की राखियां बनाने का सस्ता और सुलभ तरीका भी निकाल लिया है। यू टयूब देखकर राखियां बनाई जा रही हैं इसमें साधारण धागे से मोतियों को पिरोकर एक से एक बेहतरीन राखियों को तैयार किया जा रहा है। कोरोना के चलते स्कूली और कॉलेज के बच्चे भी घरों पर ही हैं।स्वदेशी को बढ़ावा देते हुए शासकीय नवीन महाविद्यालय बिर्रा की कक्षा बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा कु.कोमिला पटेल ने इस रक्षाबंधन के लिए एक से बढ़कर एक राखियां बनाई हैं। इन खूबसूरत देसी राखियों को बनाने में धागा, रेशम, मोती,पेपर जैसी चीजों का प्रयोग किया गया। वे अपने हुनर का प्रदर्शन करते हुए आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। बच्चे यू टयूब देखकर कलात्मक राखियां बनाने में लगे हुए हैं। कॉलेजो की ओर से भी त्योहार के मौके पर बच्चों को घर पर ही राखी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है गया। गूगल मीट आदि के माध्यम से आसान तरीके वाली राखियां बच्चों को काफी भा रही हैं
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