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दीपावली पर भोपाल में 70 लाख मिट्टी के दियों से रोशन होंगे घर



 भोपाल इस साल दीपावली पर 70 लाख मिट्टी के दिए घरों को रोशन करेंगे। कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की देशवासियों की अपील के बाद दीपावली पर दीए की बिक्री को लेकर भोपाल जिले के प्रजापति समाज ने दिए बनाए हैं। समाज के लोगों की उम्मीद है कि कोरोना के चलते इस साल लोग चीन के दिए की जगह स्वदेशी दिए खरीदेंगे। भोपाल जिले में घरों को दीपावली पर रोशन करने के लिए 70 लाख से दीपक बनाए गए हैं। इस काम में जिले के करीब चार हजार से अधिक कुम्हारों ने दीपावली के लिए दीपक बनाए हैं। घरों को रोशन करने के लिए इन लोगों के द्वारा सामन्‍या दीयों के अलावा, आकर्षक दिखने वाले कलश, और खिलौने वाले दिए भी तैयार किए है।

मध्यप्रदेश माटी कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामदयाल प्रजापति ने कहा कि जिले के लाखों घरों को दीपावली के त्योहार पर दियों से रोशन करने के लिए हमारे समाज के लोगों द्वारा बनाए गए दिए बाजारों में बिकने लगे हैं। दिए बनाने वाले महेंद्र प्रजापति बताते हैं कि इस दीपावली के लिए पिछले साल की तुलना में इस वर्ष अधिक दीए शहर के कुम्हारों के द्वारा ज्यादा बनाए जा रहे हैं। वहीं लाहरपुरा कटारा हिल्स क्षेत्र में रहने वाली मीना प्रजापति का कहना है कि समाज के लागों का मानना है कि इस बार कोरोना के चलते भोपाल सहित देशभर के लोग चीन के बना हुए दिए नहीं खरीदेंगे।

पांच हजार साल अधिक पुराना है इतिहास

मां चामुंडा द्वार के पुजारी रामजीवन दुबे और जगदीश शर्मा ने बताया कि भारत में दीया का इतिहास प्रमाणिक रूप से पांच हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। दिए सनातन काल में भी बनाए जाते थे। इनका इस्तेमाल धनतेरस, दीपावली के अलावा घर पर रोजाना जलाने के लिए किया जाता था। रामायण में भी श्रीराम अयोध्या लौटकर आए थे, तो दीयों को रोशन कर लोगों ने उनका स्वागत किया था। दीपावली में एक दिए से दूसरे दीये को जलाया जाता है, यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का पर्व है। इन दीपों से निकलने वाली लौ सदियों से पूरे संसार को शांति व भाईचारे का संदेश देती आ रही है।

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