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राजस्थान से बाजरा और उत्‍तर प्रदेश से धान की आवक ने बढ़ाई मध्‍य प्रदेश की मुसीबत



भोपाल  न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली अनाज खरीद में पड़ोसी राज्यों से आने वाला अनाज मध्य प्रदेश के लिए मुसीबत बन रहा है। मुरैना में बाजरा की रिकॉर्ड आवक हो रही है। इससे आशंका बढ़ रही है कि राजस्थान के धौलपुर से तो व्यापारी किसानों के नाम पर बाजरा नहीं बुला रहे हैं। इसी तरह रीवा के त्योंथर और बालाघाट के धानेगांव में उत्तर प्रदेश से धान बुलवाया गया है। सीमावर्ती जिलों में यह समस्या अधिक है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की समीक्षा में भी यह बात सामने आई है। इसके मद्देनजर अब कलेक्टरों ने सीमाओं पर नाके लगाने के साथ खरीद केंद्रों की जांच भी शुरू करा दी है।

सूत्रों के मुताबिक मुरैना में इस बार बाजरा की बंपर आवक हो रही है। अभी तक तीस हजार टन की आवक होती थी। पहले लक्ष्य बढ़ाकर 75 हजार टन किया लेकिन यह भी कम पड़ने लगा तो इसे फिर बढ़ाकर एक लाख और अब सवा लाख टन किया है। बताया जा रहा है कि मुरैना से राजस्थान का धौलपुर लगा है और वहां बाजरा की खेती होती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,150 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बाजरा मध्य प्रदेश में खरीदा जा रहा है।

जबकि, बाजार में यह 1,500 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रहा है। इस वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि सीमावर्ती गांवों के किसानों के माध्यम से राजस्थान के व्यापारी बाजरा बिकवा सकते हैं। यही कारण है कि मुरैना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने नाके लगवाकर जांच बढ़वा दी है।

कई जगह पकड़ी धान

दतिया, रीवा और बालाघाट में उत्तर प्रदेश से धान लाने की बात सामने आई है। रीवा के त्योंथर में 500 क्विंटल तो बालाघाट के धानेगांव में 270 क्विंटल धान पकड़ी गई है। दतिया में भी उत्तर प्रदेश से धान आने की सूचनाएं मिल रही हैं। इसके मद्देनजर कलेक्टर संजय कुमार ने नाकेबंदी करा दी है। उन्होंने बताया कि इस समस्या की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। सीमावर्ती स्थानों पर जांच का दायरा बढ़ाया गया है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक तरुण कुमार पिथौड़े का कहना है कि सभी कलेक्टरों को सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने के लिए कहा गया है ताकि पड़ोसी राज्यों से फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकने के लिए न आ सकें। उधर, नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि मुरैना में खरीद एकदम से बढ़ी है। बारदाने की कमी को दूर कर लिया है। अन्य राज्यों से फसल न आए, इसके प्रबंध कलेक्टरों ने किए हैं। जहां भी शिकायतें आ रही हैं, वहां जिला प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।

किसानों के माध्यम से होता है खेल

सूत्रों का कहना है कि बाजरा की कीमत बाजार में 1,500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। जबकि, समर्थन मूल्य 2,150 रुपये है। इसलिए व्यापारी किसानों के नाम पर दूसरी जगह से उपज लाकर समर्थन मूल्य पर बेचते हैं। इसमें किसान के साथ-साथ खरीद केंद्र के कर्मचारी और पटवारी की भी भूमिका रहती है। दरअसल, ई-उपार्जन व्यवस्था में किसान का पंजीयन होता है। इसमें उन किसानों के नाम भी दर्ज हो जाते हैं, जिन्होंने संबंधित फसल की खेती ही नहीं की होती है।

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